चीन की दादागिरी के जवाब में भारत ने बनाई खास रणनीति

बर्न । केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि चीन द्वारा दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात पर रोक का फैसला पूरी दुनिया के लिए संभलने का मौका है। उन्होंने कहा कि भारत पूरी सक्रियता से दुर्लभ पृथ्वी तत्वों की आपूर्ति श्रंखला के निर्माण पर फोकस कर रहा है और खुद को अंतरराष्ट्रीय व्यापारों के लिए विश्वसनीय सहयोगी के रूप में पेश करने पर ध्यान दे रहा है ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके।
पीयूष गोयल आधिकारिक दौरे पर स्विट्जरलैंड के बर्न में मौजूद हैं, जहां उन्होंने स्विट्जरलैंड की सरकार के अधिकारियों और बिजनेस लीडर्स से मुलाकात की। पीयूष गोयल ने माना कि चीन द्वारा दुर्लभ खनिजों पर प्रतिबंध लगाने से भारत के आॅटोमोटिव और गुड्स सेक्टर के सामने कुछ चुनौतियां आएंगी। इस संकट से निपटने के लिए उन्होंने एक व्यापक रणनीति का भी जिक्र किया। इसके लिए सरकार विभिन्न कूटनीतिक माध्यमों से चीन सरकार से बातचीत कर रही है और साथ ही आपूर्ति श्रंखला के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाने की कोशिश की जा रही है।
गोयल ने जोर देकर कहा कि ‘ये स्थिति उन सभी के लिए संभलने का मौका है, जो किसी खास भौगोलिक क्षेत्र पर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो गए हैं। ये पूरी दुनिया के लिए सतर्क होने का मौका है कि आपको आपूर्ति श्रंखला के लिए एक विश्वसनीय सहयोगी की जरूरत है।’ गौरतलब है कि चीन के प्रतिबंध से आॅटो इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है क्योंकि आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री में कई उपकरणों के निर्माण में दुर्लभ पृथ्वी तत्व चुंबक का इस्तेमाल होता है और ये चीन से आयात करनी पड़ती है। दुर्लभ पृथ्वी तत्वों की प्रोसेसिंग पर चीन का नियंत्रण है और दुनिया का 90 प्रतिशत चुंबक का उत्पादन चीन में ही होता है। यह चुंबक न सिर्फ आॅटोमोबाइल सेक्टर में बल्कि घर में इस्तेमाल होने वाले सामानों और स्वच्छ ऊर्जा व्यवस्था में भी चुंबक का इस्तेमाल होता है। चीन ने बीती 4 अप्रैल को दुर्लभ पृथ्वी तत्व चुंबक के विदेशों को निर्यात पर सरकार की मंजूरी के बिना रोक लगा दी थी।