हार्वर्ड में भारतीय छात्रों की अनिश्चित भविष्य से जूझती जिंदगी

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले भारतीय छात्र इन दिनों अनिश्चितता और चिंता से जूझ रहे हैं। भारतीय छात्रों का कहना है कि वे इन दिनों एक भावनात्मक ह्यरोलरकोस्टरह्ण पर सवार हैं, जहां वीजा, नौकरी और अमेरिका की राजनीतिक उठापटक ने उनके सपनों पर ब्रेक लगा दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के भारतीय छात्र वर्तमान में भारी मानसिक दबाव में हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय पर किए जा रहे हमलों, फंडिंग में कटौती और विदेशी छात्रों की एंट्री पर पाबंदी ने उनकी स्थिति को और जटिल बना दिया है।
हाल ही में हार्वर्ड के केनेडी स्कूल से स्नातक हुई एक भारतीय छात्रा ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, “यह समय बहुत उलझन भरा रहा है। समझ नहीं आता कि वापस भारत लौटें या यहीं कुछ रास्ता निकालें।” वहीं, डिजाइन स्कूल की एक और छात्रा ने कहा कि पहले हार्वर्ड का नाम नौकरी में मदद करता था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। ह्लअब कंपनियां इंटरनेशनल छात्रों को हायर करने से हिचकिचा रही हैं। वीजा की स्थिति इतनी अस्थिर है कि कोई हमें नौकरी देना नहीं चाहता।
ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड की अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट एनरोलमेंट की पात्रता रद्द कर दी है और रएश्ढ सर्टिफिकेशन भी समाप्त कर दिया है। इसके चलते विदेशी छात्रों को या तो स्थानांतरित होना पड़ा या फिर अमेरिका में रहने का कानूनी अधिकार खो देना पड़ा। इसके अलावा, वरऊ 2.2 अरब की ग्रांट फ्रीज कर दी गई है, जिससे नीतिगत, स्वास्थ्य और जलवायु जैसे क्षेत्रों की नौकरियों पर असर पड़ा है।
अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग ने हार्वर्ड पर आरोप लगाया है कि उसने “एंटी-अमेरिकन और आतंकवाद समर्थक प्रदर्शनकारियों को कैंपस में माहौल खराब करने दिया”, जिससे यह जगह अब सुरक्षित नहीं रही। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में एक घोषणा में कहा कि हार्वर्ड ने उन विदेशी छात्रों से जुड़ी जानकारी देने से इनकार कर दिया है, जो “गैरकानूनी या खतरनाक गतिविधियों” में शामिल हैं।
केनेडी स्कूल की ही एक छात्रा ने बताया, “मैं अभी बुरी तरह से नौकरी की तलाश में हूं। ज्यादातर कंपनियां वीजा के अस्थिर हालात के कारण इंटरनेशनल छात्रों को रखना ही नहीं चाहतीं।” छात्रों ने कहा कि ट्रंप प्रशासन की ओर से फंडिंग कटौती से पॉलिसी, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य और पब्लिक हेल्थ जैसे सेक्टर की नौकरियों पर भी असर पड़ा है। कई छात्रों का कहना है कि वे अमेरिका की अनिश्चितता को देखते हुए भारत लौटने का मन बना चुके हैं। “इतनी दूर रहकर तनाव सहने की कोई सार्थकता नहीं रही,” एक छात्र ने कहा।
हालांकि, अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने दुनिया भर के अमेरिकी दूतावासों को हार्वर्ड छात्रों के वीजा आवेदन फिर से प्रोसेस करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, “नए छात्रों के बीच भी काफी डर है। कुछ सोच रहे हैं कि यूरोप या किसी और देश में अप्लाई करें। अमेरिका का माहौल अब पहले जैसा नहीं रहा।”
उन्होंने बताया कि कई नए छात्र वीजा तो पा चुके हैं लेकिन वे असमंजस में हैं कि कहीं वे स्कॉलरशिप या फंडिंग खो न दें अगर वे इस साल ना आएं। हार्वर्ड इंटरनेशनल आॅफिस के अनुसार, 2024-25 के सत्र में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भारत से 788 छात्र और स्कॉलर पढ़ाई या शोध कर रहे हैं।
केनेडी स्कूल के छात्र ने कहा, “जो ‘अमेरिकन ड्रीम’ कभी भारत जैसे देशों के छात्रों को खींचता था, वह अब पहले जैसा नहीं रहा। पिछले पांच सालों में जो नुकसान हुआ है, वह कुछ हद तक अपूरणीय है।” हालांकि, उन्होंने कहा कि सबसे राहत की बात यह रही कि हार्वर्ड प्रशासन और वहां के छात्र इंटरनेशनल छात्रों के समर्थन में मजबूती से खड़े हुए हैं।