राष्ट्रीय व्यापार सुरक्षा नीति लागू की जाए, टैक्सटाइल व गार्मेंट उद्योग की मांग
मुंबई। देश का टेक्सटाइल व गार्मेंट उद्योग पिछले कुछ सालों से कई परेशानियों से दो चार हो रहा है, जिसको लेकर हाल ही में कैट की टेक्सटाइल व गार्मेंट समिती ने केंद्र सरकार से देश भर के कपड़ा व्यापारियों के लिए राष्ट्रीय व्यापार सुरक्षा नीति लागू करने की मांग की है। कारोबारियों ने अपनी परेशानियों को लेकर केंद्रीय टेक्सटाइल मंत्री गिरिजराज सिंह को पत्र लिखा है। इसमें कपड़ा उद्योग में बढ़ते संगठित धोखाधड़ी, फर्जी जीएसटी पहचान, साइबर अपराधा और भुगतान को लेकर बढ़ते घोटालों पर चिंता व्यक्त की गई है।
कैट के टैक्सटाइल एवं गार्मेंट समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष चम्पालाल बोथरा ने बताया कि भारत सरकार से हमने देश भर के कपड़ा व्यापारियों के लिए विशेषकर छोटे और मंझोले कपड़ा कारोबार को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय कपड़ा व्यापार सुरक्षा नीति की मांग की है। हमने केंद्र सरकार से हर राज्य में टेक्सटाइल फ्रॉड प्रोटेक्शन सेल को बनाने, राष्ट्रीय टैक्सटाइल व्यापारी डेटाबेस का निर्माण करने, जिसमें व्यापारियों की जीएसटी से जुड़ी समस्या सुनी जाए और जीएसटी पोर्टल की निगरानी जिसमें गलत जीएसटी नंबर की पहचान की हो और उसे कैंसल भी किया जा सकें। साथ ही नकली भुगतान स्क्रीनशॉट और साइबर फ्रॉड से बचने के लिए साइबर सुरक्षा प्रणाली को व्यापार के संगठनों से जोड़ने का अनुरोध किया गया है। उनका कहना है कि व्यापारियों की पहचान के लिए सत्यापन प्रणाली लागू की जाने की आवश्यकता है, इससे कारोबार में होने वाले फ्रॉड लेनदेन पर रोक लगेगी। सरकार को व्यापार धोखाधड़ी बीमा मॉडल (ट्रेड फ्रॉड इंश्योरेंस) पर ध्यान देने की जरुरत है।
बोथरा कहते हैं सूरत, कोलकाता, अहमदाबाद, दिल्ली और तिरुपुर, इंदौर, भिवंडी, मालेगांव, जबलपुर जैसे कपड़ा उत्पादक मंडियों में करोड़ रुपये की धोखाधड़ी होती है। अकेले सूरत जैसे मार्केट में हाल के महीनों में सौ करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामाने आया है। मुंबई के कपड़ा व्यापार संगठन भारत मर्चेंट चैंबर के धर्मेश भट्ट का कहना है, कि पिछले कई सालों से टैक्सटाइल एवं गार्मेंट कारोबार परेशानियों से गुजर रहा है। जिसमें छोटे और मध्यम आकार के कारोबारियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। जिसकी बड़ी वजह कारोबार में बढ़ती धोखाधड़ी है। वे बताते हैं कि मुंबई से लेकर सूरत तक के कपड़ा बाजार में नकली कारोबारी बनकर, जिसमें उनके पास जीएसटी नंबर भी होता है, वे व्यापारी थोड़े पैसे देकर लाखों का माल ले जाते हैं। जिसकी वजह से लाखों रुपये का नुकसान कारोबारी के साथ उद्योग को हो रहा है।
भिवंडी पावरलूम के संघ अध्यक्ष सेजपाल बताते हैं कि सरकार को टैक्सटाइल और गार्मेंट उद्योग के लिए सुरक्षा नीति बनाने की जरूरत है, क्योंकि इससे लाखों लोगों का कारोबार और रोजगार जुड़ा हुआ है। भिवंडी पावरलूम की बात करें तो वर्तमान में लाखों इकाइयां बंद हो चुकी हैं और जो बची हुई हैं वो बंद होने की कगार पर हैं। दूसरा गार्मेंट कारोबारी अपने कारोबार को चलाने के लिए कई तरह की चुनौतियां का सामना कर रहे हैं, जिसमें पेमेंट को लेकर कई तरह की परेशानियां उनके सामने हैं। इसलिए सरकार को विशेषकर छोटे कपड़ा व्यापारियों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय व्यापार सुरक्षा नीति लागू करने की जरुरत है।