‘भारतीय कंपनियां टैरिफ और वैश्विक तनाव से निपटने में सक्षम’


नई दिल्ली। भारतीय कंपनियां टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव के असर से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। यह दावा किया है मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस और इसकी स्थानीय शाखा इक्रा रेटिंग्स ने। बुधवार के जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग जगत को नए वित्त वर्ष में निवेश संबंधी निर्णय लेते समय बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। मूडीज ने कहा, “भारतीय गैर-वित्तीय कंपनियां घरेलू खपत पर ध्यान केंद्रित करने और निर्यात पर कम निर्भरता के कारण अमेरिकी आयात शुल्क से सीधे प्रभावित नहीं होती हैं।”
मूडीज ने कहा कि निजी खपत को बढ़ावा देने, विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की सरकारी पहल से, वैश्विक मांग के कमजोर होने जैसी स्थिति को संभालने में मदद मिलेगी। मूडीज के अनुसार, निजी पूंजीगत व्यय को वैश्विक मोर्चे पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच मापा जाता रहेगा।
भारतीय कंपनियां घरेलू खपत में निरंतर वृद्धि को पूरा करने के लिए नई क्षमता में निवेश करना जारी रखेंगी, और मूडीज ने अनुमान लगाया है कि उसके द्वारा रेटिंग प्राप्त गैर-वित्तीय कंपनियां अगले दो वर्षों के दौरान पूंजीगत व्यय में सालाना लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करेंगी। रेटिंग एजेंसी के अनुसार अधिकांश कंपनियां आंतरिक स्रोतों से खर्च करेंगी और औसत पोर्टफोलियो लाभ 3 गुना तक बना रहेगा।
मूडीज रेटिंग्स के प्रबंध निदेशक विकास हालन ने कहा कि भारत की विनिर्माण वृद्धि कुशल श्रम की अपर्याप्तता, विकसित होते लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे और जटिल भूमि एवं श्रम कानूनों जैसी चुनौतियों से बाधित होगी। इक्रा के मुख्य रेटिंग अधिकारी के रविचंद्रन ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में नरम रहने के बाद, आयकर राहत, ब्याज दरों में और कटौती और खाने-पीने के चीजों की घटती कीमतों कारण वित्त वर्ष 2026 में शहरी खपत में सुधार होने की उम्मीद है। इससे आॅटोमोबाइल, उपभोक्ता वस्तुओं तथा सेवा क्षेत्रों को लाभ होगा।
इस बीच, बुनियादी ढांचे के निर्माण के मोर्चे पर, इक्रा ने निकट भविष्य में सड़क निर्माण गतिविधि में मंदी का अनुमान लगाया है, जबकि बंदरगाहों और डेटा केंद्रों जैसे अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश जारी रहेगा, जो ठोस सरकारी समर्थन, स्वस्थ पूंजीगत व्यय और परियोजनाओं की बड़ी पाइपलाइन से लाभान्वित होंगे। रेटिंग एजेंसियों ने कहा कि देश को 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है। उनके अनुसार, देश ऊर्जा सुरक्षा, सामर्थ्य और परिवर्तन से जुड़ी त्रिकोणीय चुनौतियों से जूझ रहा है।