पौधे भी दूर कर सकते हैं ग्रहों का दोष, जानिए कौनसा पौधा लाएगा आपके जीवन में सुख-सौभाग्य

जयपुर

भविष्य पुराण के अनुसार संतानहीन मनुष्य द्वारा लगाया गया वृक्ष लौकिक और पारलौकिक कर्म करता है। लोमेश संहिता में कहा गया है कि जहां पर तुलसी का वृक्ष स्वयं उत्पन्न होता है तथा अश्वत्थ आदि के वृक्ष हों, वहां निश्चित ही देवता निवास करते हैं।

आचार्य वराहमिहिर ने वृक्षों को वस्त्र से ढककर चंदन और पुष्पमाला अर्पित कर उनके नीचे हवन करने को श्रेष्ठ बताया है। पितरों की संतुष्टि के लिए भी वृक्ष लगाने की परंपरा है।

ज्योतिष शास्त्र में वृक्षों को देवताओं और ग्रहों के निमित्त लगाकर उनसे शुभ लाभ प्राप्त किए जाने का उल्लेख मिलता है। पीपल के वृक्ष में सभी देवताओं का तो आंवला और तुलसी में विष्णु का, बेल और बरगद में भगवान शिव का जबकि कमल में महालक्ष्मी का वास माना गया है।

जामुन का वृक्ष धन दिलाता है तो पाकड़ ज्ञान और सुयोग्य पत्नी दिलाने में सहायक होता है। कहा यह भी जाता है कि वृक्षों को देवताओं और ग्रहों के निमित्त लगाकर शुभता पाई जा सकती है। वृक्ष पर्यावरण के अलावा हमारे ग्रहों और नक्षत्रों पर भी अनुकूल प्रभाव डालते हैं।

दु:खों को दूर करते हैं वृक्ष

पेड़ कई तरह के दु:खों को भी दूर करने में मददगार होते हैं। जैसे तेंदु को कुलवृद्धि, अनार को विवाह कराने में सहायक और अशोक को शोक मिटाने वाला बताया गया है। श्रद्धा भाव से लगाया गया वृक्ष कई मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।

कन्या के विवाह में देरी हो रही हो तो कदली वृक्ष की सूखी पत्तियों से बने आसान पर बैठकर कात्यायनी देवी की पूजा करनी चाहिए। शनि ग्रह के अशुभ फल को दूर करने के लिए शमी वृक्ष के पूजन से लाभ मिलता है। कदंब व आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर यज्ञ करने से लक्ष्मीजी कृपा मिलती है।

ग्रहों को शांत करती समिधा

नवग्रहों को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष में मंत्रजाप के साथ हवन किया जाता है। इसके लिए जिस समिधा का प्रयोग होता है वह वृक्ष से ही मिलती है।

सूर्य के लिए मदार, चंद्र के लिए पलाश, मंगल के लिए खैरा, बुध के लिए बरगद, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर, शनि के लिए शमी, राहु के लिए दूर्वा और केतु के लिए कुश वृक्ष की समिधा प्रयुक्मत होती हैं।

नवग्रहों को प्रसन्न करने और उनके शुभ प्रभाव के लिए दान करना उपयुक्त उपाय है। इसके लिए वृक्ष और उनसे मिलने वाले उत्पादों का दान भी किया जाता है।