आमलकी एकादशी के दिन इस तरह करें आंवला पेड़ की पूजा
घर-परिवार में बरसेगा सौभाग्य
प्रत्येक माह में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में। हर एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। लेकिन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली आमलकी एकादशी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस एकदशी को रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आज यानी 10 मार्च को आमलकी एकादशी है। आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी के साथ शिवजी और मां पार्वती की भी पूजा की जाती है। वहीं आमलकी एकादशी के दिन आंवला का खास महत्व है। दरअसल, आंवला का दूसरा नाम आमलकी भी और इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की वजह से इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं कि आज आमलकी एकादशी के दिन आंवला पेड़ की पूजा किस विधि के साथ करें।
आमलकी एकादशी के दिन आंवला पेड़ की पूजा कैसे करें?
आमलकी एकादशी के दिन सबसे पहले भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करें।
इसके बाद आंवला पेड़ की पूजा जरूर करें। ऐसा करने से आपको पूजा का शुभ फल प्राप्त होगा।
आंवला पेड़ की पूजा के बाद परिक्रमा करें। ऐसा करने से जातक को जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आमलकी एकादशी के दिन 108 बार परिक्रमा करना अच्छा माना जाता है।
अगर ऐसा संभव नहीं है तो आंवला पेड़ की 7 या 11 बार भी परिक्रमा कर सकते हैं।
आमलकी एकादशी के दिन आंवले पेड़ में जल चढ़ाएं।
इसके बाद आंवला पेड़ की जड़ में कच्चा दूध, अक्षत, रोली आदि पूजा सामग्री चढ़ाएं।
आंवला पेड़ के नीचे सरसों या तिल के तेल का दीया जलाएं।
आंवला पेड़ का महत्व
बता दें कि भगवान विष्णु को आंवले का पेड़ अत्यंत प्रिय है। आंवले के हर हिस्से में भगवान का वास माना जाता है। इसके मूल, यानि जड़ में श्री विष्णु जी, तने में शिव जी और ऊपर के हिस्से में ब्रह्मा जी का वास माना जाता है। साथ ही इसकी टहनियों में मुनि, देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण और इसके फलों में सभी प्रजापतियों का निवास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले के वृक्ष के स्मरण मात्र से ही गौ दान के समान पुण्य फल मिलता है। इसके स्पर्श से किसी भी कार्य का दो गुणा फल मिलता है, जबकि इसका फल खाने से तीन गुणा पुण्य फल प्राप्त होता है।