बिना बिजली-इंटरनेट तस्वीरों से सर्वाइकल कैंसर की पुष्टि कर रहा स्वदेशी एआई
90% से ज्यादा असरदार मॉडल
नई दिल्ली। भारत के तकनीक और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ऐसा स्वदेशी एआई मॉडल विकसित करने में सफलता हासिल की है, जिसके लिए न इंटरनेट की जरूरत है और न ही बिजली की। यह सिर्फ तस्वीरों के जरिये सर्वाइकल कैंसर का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है। एम्स बठिंडा के डॉक्टरों ने इसका क्लिनिकल परीक्षण किया है। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में इस मॉडल को 90 फीसदी से भी ज्यादा असरदार पाया गया है। पुणे स्थित स्टॉर्ट कंपनी पेरिविंकल टेक्नोलॉजीज ने इस स्वदेशी एआई आधारित उपकरण को स्मार्ट स्कोप का नाम दिया है जो केवल 30 सेकंड में तस्वीरों के जरिये कैंसर स्क्रीनिंग करने में सक्षम है। यह महिलाओं में घावों और संक्रमणों के साथ गर्भाशय ग्रीवा की असामान्यताओं का शीघ्र पता लगाने में बेहतर साबित हुआ है। स्मार्ट स्कोप को विकसित करने के बाद अब तक 3.50 लाख से अधिक महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई है, जिनमें से पांच हजार महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर को लेकर संदिग्ध पाया गया। यूएस एफडीए और भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से अनुमति मिलने के बाद उसे जिला और ग्रामीण स्तर के स्वास्थ्य सेवाओं में भी शामिल किया जा रहा है।
हर आठ मिनट में एक महिला की मौत
भारत में हर आठ मिनट में एक महिला की सर्वाइकल कैंसर से मौत हो रही है। भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों यह दूसरा सबसे प्रमुख कारण है, जिसके लिए समय पर जांच न हो पाना और तीसरी या चौथी स्टेज में कैंसर का पता चलना जिम्मेदार है। हालांकि, इस कैंसर से बचाव के लिए केंद्र सरकार ने टीका भी मंजूर किया है जो अब तक राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन पाया है।
एक स्क्रीन और रिमोट का कमाल
भारत के साथ-साथ अमेरिका, चीन और इस्राइल सहित छह देशों में अनुमति पाने वाला यह स्वदेशी मॉडल एक स्क्रीन और रिमोट के जरिये काम करता है। एक टॉर्च रूपी रिमोट पर लगे कैमरे से तस्वीरें ली जाती हैं और एआई एल्गोरिदम उनका विश्लेषण करने में मदद करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे स्वास्थ्यकर्मी भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसलिए जरूरी है जल्दी पता चलना
सर्वाइकल कैंसर भारत और विश्व स्तर पर एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से 2022 में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, यह दुनियाभर में महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है। सालाना 6.60 लाख से ज्यादा महिलाओं में हर साल इस कैंसर की पहचान हो रही है। 3.50 लाख महिलाओं की मौत हो रही है। सर्वाइकल कैंसर की घटनाओं और मृत्यु दर की उच्चतम दर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में है, जिससे भारत जैसे देश पर बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य बोझ है।
समय पर पहचान से प्रभावी इलाज
एमईआईटीवाई नैसकॉम सीओई के सीईओ संजीव मल्होत्रा ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर एक ऐसा रोग है, जिसे केवल समय पर पहचान कर ही प्रभावी रूप से इलाज किया जा सकता है। पंजाब के बठिंडा एम्स में इस एआई मॉडल पर काम किया जा रहा है। अभी तक के निष्कर्ष बताते हैं कि इस तकनीक से पहचाने गए संदिग्ध मामलों में से 24% को आगे की जांच के लिए रेफर किया, जबकि 20% को दवाएं शुरू की गईं।