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नैक ने हटाए 20% मूल्यांकनकर्ता, 1000 नई भर्तियां कीं
नई दिल्ली। NAAC Scam: राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले अपने एक- पांचवें मूल्यांकनकर्ताओं को हटा दिया है। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए उठाया गया है। इसके साथ ही, NAAC ने 1,000 से अधिक नए समीक्षकों की नियुक्ति की है, जिन्हें जल्द ही प्रशिक्षित किया जाएगा।

नैक ने की सख्त कार्रवाई
NAAC लंबे समय से अपने मूल्यांकनकर्ताओं के कार्य और आचरण की समीक्षा करता आ रहा था, लेकिन हाल के वर्षों में कई अनियमितताओं की शिकायतें मिलने के बाद कड़ी कार्रवाई की गई। नैक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारे पास विभिन्न क्षेत्रों के 7,000 से अधिक मूल्यांकनकर्ता थे, जो उच्च शिक्षण संस्थानों (HEI) की ग्रेडिंग प्रक्रिया में शामिल थे। हालांकि, हाल की समीक्षा में पाया गया कि कई मूल्यांकनकर्ता अब सक्रिय नहीं थे, जबकि कुछ गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतर रहे थे। इसी कारण हमने इनकी संख्या में 20% की कटौती की है।”

उन्होंने आगे कहा, “कई मूल्यांकनकर्ताओं को 6 महीने से 1 वर्ष तक के लिए निलंबित किया गया है, जबकि कुछ को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके साथ ही, 1,000 से अधिक नए समीक्षकों को जोड़ा गया है, जिन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा।”
नैक की पूरी प्रक्रिया अब ऑनलाइन होगी
NAAC ने अपने मूल्यांकन में सुधार लाने के लिए कॉलेजों का भौतिक निरीक्षण बंद कर दिया है और अब पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। हालांकि, विश्वविद्यालयों के लिए हाइब्रिड प्रणाली अपनाई जाएगी, जिसमें अधिकांश मूल्यांकन दूरस्थ रूप से होंगे, लेकिन कुछ समीक्षक ऑन-साइट निरीक्षण भी करेंगे। नैक के अनुसार, यह बदलाव कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आवश्यक है।
सीबीआई जांच के बाद हुई कार्रवाई
यह निर्णय गुंटूर स्थित केएलईएफ विश्वविद्यालय को A++ ग्रेड देने के बदले रिश्वत लेने के आरोपों पर CBI द्वारा की गई जांच के बाद लिया गया है। इस घोटाले में शामिल सात सहकर्मी मूल्यांकनकर्ताओं को नैक ने प्रतिबंधित कर दिया है।
नैक का उद्देश्य और नई रणनीति
नैक की स्थापना 1994 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। इसके तहत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को मानकीकृत ढंग से ग्रेडिंग दी जाती है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारा जा सके।