सेबी ने विशेष निवेश निधि को दी मंजूरी
कम से कम 10 लाख का निवेश होगा जरूरी, एक अप्रैल से लागू होगी योजना
नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को विशेष निवेश निधि (एसआईएफ) को मंजूरी दी। सेबी ने इसके लिए नियम जारी कर दिए हैं। इस निधि में कम से कम 10 लाख रुपये निवेश करने होंगे। इस योजना के जरिये निवेशक अधिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे। सेबी ने बताया कि नई योजना एक अप्रैल से लागू होगी।
सेबी ने बताया कि म्यूचुअल फंड और पीएमएस (पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा) के बीच अंतर को पाटने के लिए एसआईएफ की शुरुआत की गई है। निवेशकों को एसआईएफ के तहत कम-से-कम 10 लाख रुपये का निवेश करना जरूरी होगा। हालांकि यह नियम मान्यता प्राप्त निवेशकों पर लागू नहीं होगा। इस योजना के तहत निवेशक निवेश की गई राशि को एसआईपी, एसडब्ल्यूपी और एसटीपी (सिस्टैमैटिक ट्रांसफर प्लान) के जरिये निकाल भी सकेंगे। इसके लिए शर्त होगी कि कुल निवेश 10 लाख रुपये से ऊपर रहना चाहिए। सेबी ने कहा कि अगर बाजार में गिरावट के कारण निवेश मूल्य इस सीमा से नीचे चला जाता है, तो निवेशक केवल शेष पूरी राशि ही भुना सकता है।
इसके अलावा एसआईएफ के तहत निवेशक एक कंपनी की ऋण प्रतिभूतियों में 20 प्रतिशत (एएए-रेटिंग), 16 प्रतिशत (एए-रेटिंग), या 12 प्रतिशत (ए-रेटिंग और नीचे) से अधिक निवेश नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा किसी एक क्षेत्र में शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) का 25 प्रतिशत से अधिक निवेश नहीं कर पाएंगे।
यह कंपनियां जारी कर सकेंगी एसआईएफ
सेबी ने एसआईएफ जारी करने के लिए कंपनियों के कुछ नियम बनाए हैं। पंजीकृत म्यूचुअल फंड कंपनियों दो नियमों को पूरा करना होगा। इसमें पहला होगा कि म्यूचुअल फंड पिछले तीन वर्षों में कम-से-कम 10,000 करोड़ रुपये की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति (एयूएम) के साथ कम-से-कम तीन वर्षों से परिचालन में हो। इसके अलावा वह पिछले तीन वर्षों में उसय्के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई हो या शुरू नहीं की गई हो। इसके अलावा कंपनी को एसआईएफ के लिए एक मुख्य निवेश अधिकारी नियुक्त करना होगा। अधिकारी के पास कम से कम 10 साल का कोष प्रबंधन अनुभव हो और उसने कम से कम 5,000 करोड़ रुपये का औसत प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति प्रबंधित किया हो। इसके अलावा कम से कम तीन साल के कोष प्रबंधन अनुभव और कम-से-कम 500 करोड़ रुपये के औसत एयूएम के साथ एक अतिरिक्त कोष प्रबंधक भी नियुक्त करना होगा। इसमें जरूरी होगा कि पिछले तीन वर्षों में कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई हो या शुरू नहीं हुई हो। कंपनी को म्यूचुअल फंड और एसआईएफ के बीच परिचालन संसाधनों को साझा करने की अनुमति होगी।