भारत आएंगी यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष
सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग को लेकर होगा बड़ा एलान
नई दिल्ली। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने जिस तरह से यूरोपीय देशों में हलचल मचाई है, उसको देखते हुए इस हफ्ते भारत और यूरोपीय संघ के बीच होने वाली शिखर वार्ता की अहमियत काफी बढ़ गई है।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन अपने उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 27 व 28 फरवरी को नई दिल्ली में होंगी। पीएम मोदी और उर्सला के बीच होने वाली वार्ता भारत और यूरोपीय संघ के रिश्तों को बदलते वैश्विक माहौल में नया आयाम देने वाली होगी।
मोदी और उर्सुला करेंगे वार्ता
दोनों शीर्ष नेताओं की होने वाली वार्ता के साथ ही इनके विदेश, वित्त, उद्योग व वाणिज्य, श्रम मंत्रियों की अलग से द्विपक्षीय वार्ताएं होंगी। बाद में मोदी और उर्सुला के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता होगी जिसमें दोनों तरफ के तकरीबन सभी प्रमुख कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। उर्सला ने संकेत दिया है कि आगामी वार्ता में भारत और यूरोप के बीच सुरक्षा व संपन्नता सबसे अहम होगी। कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार, मोदी और उर्सला की बैठक के बाद भारत और ईयू के रणनीतिक रिश्तों के अगले पांच वर्षों का रोडमैप जारी किया जाएगा। सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में सहयोग की घोषणा भी होगी। चिप निर्माण में सहयोग इस हफ्ते होने वाली कारोबार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) की बैठक में सबसे अहम मुद्दा रहेगा।
चुनाव के कारण हुई देरी
टीटीसी की बैठक में अमेरिका की नई सरकार की पारस्परिक कर नीति और चीन की कंपनी के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस माडल पर भी चर्चा होगी। ये मुद्दे भारत और ईयू दोनों के हितों पर असर डाल सकते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिन देशों के आयात पर पारस्परिक टैक्स लगाने का एलान किया है, उनमें भारत को चीन और मैक्सिको जैसे देशों के साथ रखा गया है। ट्रंप यूरोपीय देशों पर भी अमेरिकी कारोबारियों और कंपनियों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगा रहे हैं।
उक्त सूत्रों के मुताबिक इस हफ्ते की शीर्षस्तरीय बैठक के बाद भारत और ईयू के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर बातचीत रफ्तार पकड़ सकती है। पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में दोनों देशों के बीच नए स्तर पर एफटीए को लेकर वार्ता की शुरुआत हुई थी, लेकिन पिछले वर्ष भारत में चुनाव और उसके बाद यूरोपीय आयोग की चुनाव प्रक्रिया की वजह से देरी हुई है।
अलग-थलग पड़ा यूरोपीय संघ
माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन की आर्थिक नीतियों और शुल्कों के कारण भारत और ईयू अब एफटीए को ज्यादा टालना नहीं चाहेंगे। इसी तरह से यूक्रेन-रूस युद्ध भी भारत व ईयू के बीच होने वाली शीर्षस्तरीय वार्ता में अहम मुद्दा रहेगा। असलियत में देखा जाए तो यूरोपीय संघ इस बारे में अलग-थलग पड़ गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन को किसी तरह की मदद देने से इन्कार कर दिया है और उनकी रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की तैयारियां चल रही हैं। यूरोपीय संघ में इस बात का डर है कि ट्रंप की नीतियां मास्को को और मजबूत करेंगी, जिससे उसके हितों पर उल्टा असर होगा।