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बेहतर मानसून से भारत का चीनी उत्पादन 15% बढ़ेगा, इथेनॉल मूल्य नहीं बढ़ा तो मुनाफा रहेगा सीमित

नई दिल्ली । बेहतर मानसून के पूवार्नुमान से गन्ने की खेती और उपज में बढ़ोतरी होने की संभावना है। इसके परिणामस्वरूप चीनी उत्पादन में 15 प्रतिशत की वृद्धि होगी। रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस वर्ष महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की खेती में बेहतर पैदावार होने की संभावना है। चीनी उत्पादन में वृद्धि के कारण चीनी कंपनियों के राजस्व में 6 से 8 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीशकुमार कदम ने कहा कि बेहतर मानसून और प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में गन्ना रकबे और उपज में अपेक्षित सुधार होगा। इस बीच सकल चीनी उत्पादन 2020-25 के 29.6 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर चीनी विपणन वर्ष 2026 में 34 मिलियन मीट्रिक टन हो जाएगा ।
हालांकि, रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि अगर इथेनॉल की कीमतें स्थिर रहीं तो चीनी मिलों के लिए लाभ मार्जिन में मामूली वृद्धि ही रहने की संभावना है। गिरीशकुमार कदम ने कहा कि भले ही चीनी विपणन वर्ष 2026 में इथेनॉल उत्पादन की ओर डायवर्जन बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन सीजन के अंत तक देश में चीनी का अंतिम स्टॉक स्तर संतोषजनक बना रहेगा। इसके अलावा, घरेलू चीनी की कीमतें, जो वर्तमान में 39 से 41 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में हैं। अगले सीजन की शुरूआत तक स्थिर रहने की उम्मीद है, जिससे मिलों के मुनाफे को समर्थन मिलेगा।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि चीनी क्षेत्र स्थिर रहने की संभावना है, जिसे राजस्व में अपेक्षित सुधार, स्थिर लाभप्रदता और आरामदायक ऋण कवरेज मैट्रिक्स के साथ-साथ इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) सहित सरकार के नीतिगत समर्थन से मदद मिलेगी।
हालांकि, आईसीआरए ने डिस्टिलरी की लाभप्रदता को बनाए रखने के लिए इथेनॉल की कीमत में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया है। इथेनॉल मिश्रण और इस क्षेत्र से संबंधित लाभप्रदता पर टिप्पणी करते हुए कदम ने कहा कि इथेनॉल मिश्रण की प्रवृत्ति उत्साहजनक बनी हुई है और भारत सरकार द्वारा निर्धारित 20% मिश्रण लक्ष्य हाल के महीनों में प्राप्त कर लिया गया है।
इसके अलावा, सरकार मिश्रण लक्ष्य को 20% से अधिक बढ़ाने के विकल्प पर विचार कर रही है, जिससे डिस्टिलरीज को मदद मिलेगी। हालांकि, उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में लगभग 11.5% की वृद्धि के बावजूद, जूस और बी-हैवी आधारित इथेनॉल की कीमतों में लगातार दो वर्षों से संशोधन नहीं किया गया है। इसलिए, डिस्टिलरीज और चीनी उद्योग की लाभप्रदता को बनाए रखने के लिए इथेनॉल की कीमतों में संशोधन महत्वपूर्ण बना हुआ है।

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