गुदड़ी बाजार तिहरे हत्याकांड के छह दोषी सेंट्रल जेल आगरा भेजे…
एक महिला के चक्कर में हुआ था खूनखराबा
मेरठ। गुदड़ी बाजार में करीब साढ़े 16 साल पहले हुए तिहरे हत्याकांड के छह दोषियों को सेंट्रल जेल आगरा भेज दिया गया है। इजलाल, अफजाल, शीबा और महराज को मुकदमे विचाराधीन होने की वजह से अभी शिफ्ट नहीं किया गया है। जेल अधिकारियों का कहना है कि आजीवन कारावास के मामलों में बंदी को आगरा जेल भेजे जाने की रुटीन प्रक्रिया है। 23 मई 2008 की दोपहर बागपत और मेरठ जिले की सीमा पर बालैनी नदी के किनारे तीन युवकों के शव पड़े मिले थे। इनकी पहचान मेरठ निवासी 27 वर्षीय सुनील ढाका निवासी निवासी ढिकौली बागपत, 22 वर्षीय पुनीत गिरि निवासी खटकी परीक्षितगढ़ और 23 वर्षीय सुधीर उज्ज्वल निवासी सिरसलगढ़ बिनौली बागपत के रूप में हुई थी। जांच में सामने था आया कि 22 मई की रात कोतवाली के गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल कुरैशी ने अपने भाइयों और साथियों के साथ मिलकर तीनों की हत्या की। इजलाल की दोस्त शीबा सिरोही को हत्या के लिए उकसाने का आरोपी बनाया गया था।
22 अगस्त 2008 को कोतवाली पुलिस ने तिहरे हत्याकांड में 14 आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान दो आरोपी इसरार और माजिद की मौत हो गई थी। अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुकदमे में रोजाना सुनवाई करने के आदेश दिए थे। दस जुलाई 2024 तक लगातार हर रोज सुनवाई हुई। 14 साल तक सभी को जेल में रहना पड़ा। 2023 में इजलाल पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में जमानत अर्जी लगाई, 14 साल जेल में रहने के चलते जमानत मिल गई थी। सभी नौ आरोपी तब से बाहर थे। एक अगस्त को कोर्ट ने इजलाल और उसके भाई अफजाल, महराज, कल्लू उर्फ कलुआ, इजहार, मुन्नू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा, वसीम, रिजवान, बदरुद्दीन पर हत्या समेत तमाम धाराओं और शीबा सिरोही पर हत्या के लिए उकसाने के आरोपों को सही मानते हुए दोषी करार दिया था। हत्याकांड के दो आरोपी इसरार और माजिद की मौत हो चुकी है। एक आरोपी शम्मी जेल में है, उसका ट्रायल चल रहा है। एक आरोपी को नाबालिग बताए जाने के चलते हाईकोर्ट में अपील विचाराधीन है। तिहरे हत्याकांड में दो मुकदमे दर्ज हुए थे। इजलाल के मुकदमे में 27 गवाह और शीबा के मुकदमे में 12 गवाह पेश किए गए थे।
कैप्टन की तलाकशुदा पत्नी शीबा बनी थी हत्याकांड की वजह
इजलाल और सेना के कैप्टन की तलाकशुदा पत्नी शीबा सिरोही की दोस्ती थी। सुनील ढाका, सुधीर उज्ज्वल और पुनीत गिरि इसका विरोध करते थे। बाद में इजलाल ने तीनों युवकों से समझौता कर लिया था। शीबा को इजलाल का तीनों से मिलना पसंद नहीं था। उसने इजलाल को तीनों की हत्या के लिए उकसाया। 22 मई 2008 की रात इजलाल ने तीनों को बात करने के बहाने बुलाया और मार डाला।