लाशें इतनी कि आंसू पड़ गए कम, कब्रें खोदने के लिए मंगानी पड़ी जेसीबी; चीखों के बीच हुआ अंतिम संस्कार
एक हादसे ने पांच परिवारों को उजाड़ दिया। मौत ऐसे आई, कि लोगों के दिल दहल गए। हाथरस में दो महीने में दूसरे हादसे ने लाशों के ढेर लगा दिए। इससे पहले बीती दो जुलाई को भोले बाबा के सत्संग के समापन पर हुई भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई थी। अब छह सितंबर को जनरथ बस ने पिकअप वाहन में टक्कर मार दी।
पिकअप में 35 लोग सवार थे। इसमें 16 की मौत हो गई। इनमें 12 एक ही परिवार के थे। पांच भाइयों का परिवार एक झटके में काल के गाल में समा गया। लाशें देख परिवार व गांव के लोग चीत्कार उठे। रोने के लिए आंसू कम पड़ गए। रोते-रोते आंखें पथरा गईं। कब्रें खोदने के लिए जेसीबी मंगानी पड़ी। चीख पुकार के बीच शनिवार यानि आज दोपहर को सभी शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
देर रात तक प्रशासन और पुलिस विभाग के लोग हाथरस से शव एंबुलेंस से लाने में लगे रहे। रात के सन्नाटे में बेदरिया के मकान वाली गली में सिर्फ महिला, पुरुष और बच्चों के चीखने की आवाजें सुनाई देतीं रही। हर किसी की जुबान पर इसी घटना की चर्चा रही। बस्ती में शव लाने से पहले पुलिसकर्मियों को स्थान खोजने की कवायद करनी पड़ी। यहां 16 शव आने थे। बस्ती में पहले पंचायत घर की जमीन को देखा गया। इसके बाद बस्ती के स्कूल पर शव एकत्रित करने का निर्णय लिया गया।