केजरीवाल को सिर्फ सत्ता की चाह:दिल्ली हाईकोर्ट
उन्होंने गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा नहीं दिया, व्यक्तिगत हित को सबसे ऊपर रखा
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) स्कूलों में 2 लाख से ज्यादा बच्चों को किताबें और यूनिफॉर्म मिलने में देरी को लेकर केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने शुक्रवार 26 अप्रैल को कहा कि अरविंद केजरीवाल ने शराब नीति केस में गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा है। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की डिवीजन बेंच ने कहा कि केजरीवाल को सिर्फ सत्ता की चाहत है। दिक्कत यह है कि आप सत्ता हथियाने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि आपको सत्ता नहीं मिल रही है। दिल्ली हाईकोर्ट सोशल ज्यूरिस्ट नाम के संगठन की तरफ से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें बताया गया कि MCD स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को किताबें नहीं मिली हैं। नगर निगम की आपसी खींचतान के कारण बच्चे टिन शेड में पढ़ने को मजबूर हैं। MCD कमिश्नर ने कोर्ट को बताया था कि MCD के पास कोई स्टैंडिंग कमेटी नहीं है, जिसके कारण बच्चों को नोटबुक, स्टेशनरी आइटम, यूनिफॉर्म और स्कूल बैग नहीं मिले हैं। क्योंकि, सिर्फ स्टैंडिंग कमेटी के पास 5 करोड़ रुपए से ज्यादा का कॉन्ट्रैक्ट देने की शक्ति और अधिकार है।दिल्ली सरकार के वकील शादान फरासत ने कोर्ट में दलील दी कि MCD में स्टैंडिंग कमेटी न होने का कारण उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा अवैध तरीके से एल्डरमेन की नियुक्ति करना है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। फरासत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार के पास वैसे भी ज्यादा शक्तियां नहीं हैं। MCD की स्थायी समिति की गैर मौजूदगी में किसी अधिकारी को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी। चूंकि वह अभी हिरासत में हैं, इसलिए देरी हो रही है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि छात्रों को किताबें के बिना पढ़ने के लिए छोड़ दिया जाए। दिल्ली सरकार खुद चाहती थी कि केजरीवाल जेल में रहते हुए सरकार चलाएं। हमने हमेशा इसका विरोध किया है।
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार में शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज पर भी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सौरभ ने छात्रों की हालत पर आंखें मूंद ली हैं। वे घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब दिल्ली सरकार के वकील शादान फरासत ने कहा कि उन्हें सौरभ भारद्वाज से निर्देश मिले हैं कि MCD की स्थायी समिति की गैरमौजूदगी में किसी उपयुक्त प्राधिकारी को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी। कोर्ट ने कहा कि या तो आपको निर्देश देने वाले के पास दिल नहीं है या आंखें नहीं हैं। उन्होंने कुछ भी न देखने का फैसला कर लिया है। कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार को दो दिनों में जरूरी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सोमवार (29 अप्रैल) को फैसला सुनाया जाएगा।