बंगाल में 24 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द
हाईकोर्ट का आदेश- 8 साल की सैलरी लौटाएं
ममता बोलीं- फैसला गैरकानूनी, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे
कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को 2016 में हुई शिक्षक भर्ती रद्द कर दी। इसके अलावा अवैध नियुक्ति पर काम कर रहे शिक्षकों से 7-8 साल के दौरान मिली सैलरी भी वापस लेने के निर्देश दिए। जस्टिस देवांग्शु बसाक और जस्टिस शब्बर रशीदी की बेंच ने कहा- कैंसर पीड़ित सोमा दास की नौकरी सुरक्षित रहेगी। पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे। हाईकोर्ट के आदेश को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गैरकानूनी बताया है। उन्होंने कहा- हम उन लोगों के साथ खड़े रहेंगे जिनकी नौकरियां चली गईं। भाजपा नेता न्यायपालिका के फैसलों को प्रभावित कर रहे हैं। इस फैसले के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
पश्चिम बंगाल सरकार ने 2014 में WBSSC के जरिए सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ भर्ती किया था। तब 24, 640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक लोगों ने भर्ती परीक्षा दी थी।
इस भर्ती में 5 से 15 लाख रुपए की घूस लेने तक की आरोप हैं। मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट में कई शिकायतें मिली थीं। भर्ती में अनियमितताओं के मामले में उइक ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी मॉडल अर्पिता मुखर्जी और एसएससी के कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था।
मेरिट लिस्ट से बाहर वालों को नौकरी देने के आरोप
ममता बनर्जी की सरकार ने 2014 में शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। इसकी प्रक्रिया 2016 में पूरी हुई थी। तब पार्थ चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थें। याचिकाकतार्ओं का आरोप था कि जिन उम्मीदवारों के नंबर कम थे उन्हें मेरिट लिस्ट में ऊपर स्थान मिला। कुछ उम्मीदवारों का मेरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी नौकरी दी गई। याचिकाकतार्ओं ने दावा किया कि कुछ ऐसे भी उम्मीदवारों को नौकरी दी गई, जिन्होंने टेट परीक्षा भी पास नहीं की थी, जबकि राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए टेट की परीक्षा पास होना अनिवार्य है।
हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे
इसी तरह से राज्य में 2016 में एसएससी द्वारा ग्रुप डी की 13 हजार भर्ती के मामले में शिकायतें मिली थीं। हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद ED ने शिक्षक भर्ती और कर्मचारियों की भर्ती के मामले में मनी ट्रेल की जांच शुरू की थी। सीबीआई ने इस मामले में 18 मई को पार्थ चटर्जी से पूछताछ भी की थी।
जुलाई 2022 में हुई थी पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी
ED ने 23 जुलाई 2022 को पार्थ को शिक्षक भर्ती घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में कोलकाता के सरकारी आवास से गिरफ्तार किया था। पार्थ पर आरोप है कि मंत्री रहते हुए उन्होंने नौकरी देने के बदले गलत तरीके से पैसे लिए। पार्थ की गिरफ्तारी के 5 दिन बाद ममता बनर्जी ने उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था। इस मामले में 16 फरवरी 2024 तक पार्थ चटर्जी के करीबियों के ठिकानों पर ED ने छापेमारी की थी।
अर्पिता के घर से 49 करोड़ कैश और करोड़ों की ज्वेलरी मिली थी
ईडी ने 22 जुलाई, 2022 को पार्थ चटर्जी के ठिकानों समेत 14 जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान घोटाले में बंगाल की एक मॉडल अर्पिता मुखर्जी से जुड़ी जानकारी भी सामने आई। छापेमारी के दौरान अर्पिता मुखर्जी की प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले थे।