रिपोर्ट में दावा- टैक्स हैवन देशों में भारतीयों की 11 लाख करोड़ रुपए की ब्लैक मनी
नई दिल्ली. बैंक ऑफ इटली ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि टैक्स हैवन देशों में दुनिया की छह से सात लाख ट्रिलियन डॉलर की ब्लैक मनी मौजूद है। इसमें भारतीयों का शेयर करीब 152-181 लाख डॉलर यानी 9 से 11 लाख करोड़ रुपए है। ये ब्लैक मनी शेयर्स, कर्ज या फिर बैंक डिपॉजिट्स के तौर जमा की गई है।तीन और ग्रुप्स बता चुके हैं अलग-अलग आंकड़े…
– बैंक ऑफ इटली की इसी हफ्ते आई रिपोर्ट में कहा गया है कि रियल एस्टेट और गोल्ड के अलावा दूसरी तरह से जो ब्लैक मनी इन्वेस्ट हो रही है, उसके बारे में जानकारी नहीं है।
– रिपोर्ट तैयार करने वाले इकोनॉमिस्ट्स के नाम पेलेग्रिनी, सेनेली और तोस्ती हैं।
– इससे पहले लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के गैब्रियल जुकमैन ने वर्ल्ड लेवल पर ब्लैकमनी का आंकड़ा 7.6 ट्रिलियन डॉलर बताया था।
– इससे पहले लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के गैब्रियल जुकमैन ने वर्ल्ड लेवल पर ब्लैकमनी का आंकड़ा 7.6 ट्रिलियन डॉलर बताया था।
– वहीं, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप ने 8.9 ट्रिलियन डॉलर और टैक्स जस्टिस नेटवर्क ने यह आंकड़ा 21 ट्रिलियन डॉलर बताया था।
कमजोर कानून और सीक्रेसी की गारंटी बड़ी वजह
– ये रिपोर्ट आईएमफ और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सैटलमेंट्स के दिए फिगर्स के बेस पर तैयार की गई है।
– एक अंग्रेजी अखबार ने जब भारतीयों की ब्लैक मनी पर बैंक ऑफ इटली से जानकारी मांगी तो उन्होंने कुछ खास नहीं बताया।
– रिपोर्ट तैयार करने वाले पैनल ने सिर्फ इतना कहा कि 2013 में दुनिया की जीडीपी में भारत का शेयर 2.5% था। टैक्स हैवन देशों में मौजूद ब्लैक मनी भी इतना ही है।
– अगर इसका हिसाब आज की तारीख में लगााया जाए तो यह फिगर 9 से 11 लाख करोड़ रुपए होता है
– रिपोर्ट तैयार करने वाले पैनल ने सिर्फ इतना कहा कि 2013 में दुनिया की जीडीपी में भारत का शेयर 2.5% था। टैक्स हैवन देशों में मौजूद ब्लैक मनी भी इतना ही है।
– अगर इसका हिसाब आज की तारीख में लगााया जाए तो यह फिगर 9 से 11 लाख करोड़ रुपए होता है
ब्लैकमनी को लेकर और क्या हैं दावे?
– दिसंबर 2015 में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर देश में कालेधन की दिक्कत नहीं होती, तो 1970 से अबतक भारत की इकोनॉमी हर साल कम से कम 5% की रफ्तार से बढ़ती।
– इसका नतीजा यह होता कि आज भारत 8 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी वाला देश होता।
– सरकार को उम्मीद थी कि अलग-अलग स्कीम्स के जरिए लोग अपनी ब्लैकमनी का खुलासा करेंगे और करीब 15000 करोड़ का पैसा लौटेगा।
– लेकिन सितंबर 2015 तक सिर्फ 638 लोगों ने 3770 करोड़ रुपए की ब्लैकमनी डिक्लेयर की।
– वहीं, स्विस बैंक ने 2014 में बताया था कि उसके बैंक में 14100 करोड़ रुपए भारतीयों के हैं।
– एक अन्य संस्था ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी बताती है कि भारत से 2003 से 2012 तक सालाना करीब 44 अरब विदेशों में जमा हुए हैं।
– इसका नतीजा यह होता कि आज भारत 8 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी वाला देश होता।
– सरकार को उम्मीद थी कि अलग-अलग स्कीम्स के जरिए लोग अपनी ब्लैकमनी का खुलासा करेंगे और करीब 15000 करोड़ का पैसा लौटेगा।
– लेकिन सितंबर 2015 तक सिर्फ 638 लोगों ने 3770 करोड़ रुपए की ब्लैकमनी डिक्लेयर की।
– वहीं, स्विस बैंक ने 2014 में बताया था कि उसके बैंक में 14100 करोड़ रुपए भारतीयों के हैं।
– एक अन्य संस्था ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी बताती है कि भारत से 2003 से 2012 तक सालाना करीब 44 अरब विदेशों में जमा हुए हैं।
क्या हैं टैक्स हैवन कंट्रीज…
– टैक्स हैवन कंट्रीज वे देश होते हैं जहां टैक्स बचाने के लिए ट्रांसपरेंट सिस्टम नहीं है।
– जिन टैक्स हैवन देशों में यह ब्लैक मनी मौजूद है, वहां इन पर रोक के कानून कमजोर हैं जबकि अकाउंट्स की सीक्रेसी सख्ती से मेंटेन की जाती है।
– इतना ही नहीं ब्लैक मनी होल्डर्स की असली पहचान तक छुपाई जाती है।