टीम मोदी के विदेश दौरों पर एक साल में 567 करोड़ खर्च, उम्मीद से दोगुना ज्यादा
नई दिल्ली.नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट मंत्रियों की फॉरेन विजिट्स पर फाइनेंशियल ईयर 2015-16 के दौरान 567 करोड़ रुपए खर्च हुए। यह खुलासा बजट डॉक्युमेंट से हुआ है। हालांकि, मोदी अगले फाइनेंशियल ईयर में फॉरेन विजिट्स पर खर्च 54% तक कम करना चाहते हैं। अंदाजे से कितना ज्यादा हुआ खर्च…
– 2015-16 की शुरुआत में फॉरेन विजिट्स पर होने वाला खर्च का एस्टीमेट 269 करोड़ रुपए था। जबकि उससे दोगुना खर्च हो गया।
– यूपीए-2 सरकार के 5 साल के दौरान यानी 2009-10 से 2013-14 तक मनमोहन सिंह और उनके कैबिनेट कलीग्स के विदेश दौरों पर 1500 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
– एनडीए सरकार के तीन साल को मिला दें तो विदेश दौरों पर खर्च (2014-15 से 2016-17) का आंकड़ा करीब 1140 करोड़ रुपए आएगा।
– इस ट्रेवल एक्सपेंडिचर में मोदी, उनके सभी मंत्रियों, एक्स पीएम, दूसरे वीवीआईपी, प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट की विजिट्स शामिल हैं।
– मोदी सरकार में 64 मिनिस्टर हैं। यूपीए सरकार में 75 मंत्री थे।
– यूपीए-2 सरकार के 5 साल के दौरान यानी 2009-10 से 2013-14 तक मनमोहन सिंह और उनके कैबिनेट कलीग्स के विदेश दौरों पर 1500 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
– एनडीए सरकार के तीन साल को मिला दें तो विदेश दौरों पर खर्च (2014-15 से 2016-17) का आंकड़ा करीब 1140 करोड़ रुपए आएगा।
– इस ट्रेवल एक्सपेंडिचर में मोदी, उनके सभी मंत्रियों, एक्स पीएम, दूसरे वीवीआईपी, प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट की विजिट्स शामिल हैं।
– मोदी सरकार में 64 मिनिस्टर हैं। यूपीए सरकार में 75 मंत्री थे।
– 2013-14 के मुकाबले मोदी के मंत्रियों को 25 फीसदी ज्यादा सैलरी मिल रही है।
– अलाउंसेस पर 10.20 करोड़ रुपए हर साल खर्च हो रहे हैं। यह यूपीए सरकार के दौरान किए गए खर्च से 8% ज्यादा है।
सेक्रेटरिएट में भी स्टाफ बढ़ा
– 2015 के बाद कैबिनेट सेक्रेटरिएट में 300 लोगों का स्टाफ बढ़ाया गया। 1 मार्च 2015 को यहां टोटल स्टाफ मेंबर 900 थे जो 2016 में 1201 हो गए।
– हैरानी की बात ये है कि 2008-09 की दुनियाभर में आई मंदी के बाद ये फैसला किया गया था कि सरकारी खर्च घटाए जाएंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
– फाइनेंस मिनिस्ट्री हर साल नॉन – प्लान एक्सपेंडिचर में 10 फीसदी कटौती का प्लान बनाती है।
– इस प्लान में ब्यूरोक्रेट्स के फर्स्ट क्लास में ट्रेवल करने मंत्रियों के साथ विदेश जाने वाले डेलिगेशन में लोगों को कम करना शामिल है। फाइव स्टार होटलों में कॉन्फ्रेंस करने पर भी रोक लगाई गई है। लेकिन इसका फायदा नहीं हुआ।
– हैरानी की बात ये है कि 2008-09 की दुनियाभर में आई मंदी के बाद ये फैसला किया गया था कि सरकारी खर्च घटाए जाएंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
– फाइनेंस मिनिस्ट्री हर साल नॉन – प्लान एक्सपेंडिचर में 10 फीसदी कटौती का प्लान बनाती है।
– इस प्लान में ब्यूरोक्रेट्स के फर्स्ट क्लास में ट्रेवल करने मंत्रियों के साथ विदेश जाने वाले डेलिगेशन में लोगों को कम करना शामिल है। फाइव स्टार होटलों में कॉन्फ्रेंस करने पर भी रोक लगाई गई है। लेकिन इसका फायदा नहीं हुआ।