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केरल के स्कूलों में अब नहीं होंगे बैकबेंचर! फिल्म से मिली प्रेरणा, बच्चों को मिल रहा बराबरी का मंच

क्या आपने कभी सोचा है कि एक फिल्म बच्चों की शिक्षा पद्धति को बदल सकती है? केरल के कोल्लम जिले में स्थित रामविलासम वोकेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल ने यह कर दिखाया है। इस स्कूल में अब कोई बैकबेंचर नहीं है क्योंकि वहां अब हर बच्चा “फ्रंटबेंचर” है।
स्कूल ने अपनी कक्षा व्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया है। अब क्लासरूम में चारों दीवारों के साथ एकल पंक्तियों में बेंचें लगाई गई हैं ताकि हर बच्चा सीधे शिक्षक के सामने बैठे। यह इनोवेटिव आइडिया हाल ही में आई मलयालम फिल्म स्थानार्थी श्रीकुट्टन से प्रेरित है, जिसमें एक छात्र को पिछली सीट पर बैठने की वजह से अपमान का सामना करना पड़ा और उसने इस अनोखी व्यवस्था का सुझाव दिया।
स्कूल के प्रधानाचार्य सुनील पी शेखर ने बताया कि फिल्म के प्रिव्यू को देखने के बाद स्कूल के संरक्षक और राज्य मंत्री के बी गणेश कुमार ने इसे लागू करने का सुझाव दिया। पहले इसे केवल एक कक्षा में प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया, लेकिन जब इसके परिणाम सकारात्मक आए तो इसे सभी प्राइमरी कक्षाओं में लागू कर दिया गया।
लोअर प्राइमरी शिक्षिका मीरा, जो 29 वर्षों से पढ़ा रही हैं, कहती हैं, यह मॉडल पारंपरिक व्यवस्था से कहीं ज्यादा कारगर है। मैं हर बच्चे पर समान रूप से ध्यान दे पा रही हूं और बच्चे भी शिक्षक से ज्यादा जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।
केवल केरल ही नहीं, पंजाब के एक स्कूल ने भी यह मॉडल अपनाया है। फिल्म के डायरेक्टर वीनेश विश्वनाथन के मुताबिक, ह्लयह पहले से प्रचलित व्यवस्था थी जो अब फिर से चर्चा में आई है। उन्होंने बताया कि यह मॉडल फिनलैंड और नॉर्वे जैसे देशों में भी सफलतापूर्वक अपनाया गया है।
उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने भी इस मॉडल की तारीफ करते हुए ट्वीट किया कि यह एक स्वागत योग्य कदम है, हालांकि व्यक्तिगत रूप से उन्हें बैकबेंचर्स का कॉन्सेप्ट पसंद है।

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