फीचर आर्टिकल:बार-बार यूरिन आना, जलन-दर्द बन सकते हैं बड़ी परेशानी; होम्योपैथी में इनका आसान इलाज मौजूद

यूरिन संबंधी परेशानियों में बार-बार यूरिन आना, जलन या दर्द जैसे लक्षण शामिल हो सकते हैं। कई बार तरल पदार्थों या कैफीन के ज्यादा सेवन से बार-बार यूरिन आता है, लेकिन इसे हलके में नहीं लेना चाहिए और समय पर इलाज करवाना चाहिए क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी की वजह से भी हो सकता है, या फिर गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है। होम्योपैथिक चिकित्सा में यूरिन से जुड़ी समस्याओं के आसान इलाज संभव है।

1. प्रोस्टेट में सूजन
पुरुषों में यूरिन संबंधी परेशानी की एक वजह प्रोस्टेट में सूजन या प्रोस्टेट का बढ़ना हो सकता है। आमतौर पर यह समस्या 40 से 50 साल की उम्र के पुरुषों में ज्यादा देखी जाती है। प्रोस्टेट में सूजन आने से यूरिनरी ट्रैक्ट पर दबाव पड़ता है और यूरिन खुलकर नहीं आता। इसके अलावा प्रोस्टेट बढ़ने के कुछ और संकेत होते हैं जिनमें अचानक यूरिन करने की तेज इच्छा होना, रात को बार-बार यूरिन जाना। यूरिन करने में परेशानी या धार पतली होना और यूरिन करने के लिए ज्यादा जोर लगाने की आवश्यकता होना शामिल है। समय पर इन लक्षणों की पहचान कर ली जाए तो इस समस्या को होम्योपैथिक दवाइयों से ठीक किया जा सकता है अन्यथा यह परेशानी प्रोस्टेट कैंसर में बदल सकती है।

2. गुर्दे की पथरी
यूरिन संबंधी समस्याओं की एक और वजह है गुर्दे की पथरी। जो लोग कम पानी पीते हैं उनका यूरिन गाढ़ा हो जाता है। इससे उनकी किडनी में यूरिक एसिड और कैल्शियम ऑक्सोलेट क्रिस्टल्स जमने लगते है। होम्योपैथिक दवा के उपयोग से गुर्दे की पथरी निकल जाती है। हालांकि यदि पथरी का साईज बढ़ जाए तो सर्जरी करने की आवश्यकता हो सकती है।

3. यूरिनरी ट्रैक्ट का इन्फेक्शन
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानि यूटीआई महिलाओं की आम समस्या है, लेकिन यह पुरुषों को भी हो सकता है। इसकी वजह से बार-बार यूरिन जाना पड़ता है और यूरिन के दौरान जलन और दर्द हो सकता है। आमतौर पर यूटीआई होम्योपैथि दवा लेने से आसानी से ठीक हो जाता है । इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि अंदरूनी अंगों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए।

4. मधुमेह
शुगर की बीमारी यानी मधुमेह में भी यूरिन संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। मधुमेह से पीड़ित लोगों को बार-बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि ब्लड में शुगर बढ़ने से हमारी किडनियां उसकी प्रोसेसिंग पूरी तरह नहीं कर पातीं और यूरिन द्वारा शुगर पास होता है जिससे जलन होती है, साथ ही यूरिन के जरिए ढेर सारा पानी निकल जाता है जिससे प्यास लगती है और बार-बार पानी पीने से बार-बार यूरिन जाना पड़ता है। होम्योपैथि के मिलिसिमल पोटेंसी की दवा इसपर काफी कारगर है।

5. प्रेग्नेंसी
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव भी यूरिन संबंधी परेशानी पैदा करते हैं। इसके अलावा गर्भाशय में बढ़ते बच्चे के लिए जगह बनाने से ब्लैडर पर दबाव पड़ता है। ब्लैडर छोटा होने से ज्यादा यूरिन जमा नहीं कर पाता और गर्भवती महिला को जल्दी-जल्दी यूरिन करने की आवश्यकता पड़ती है। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में ज्यादा ब्लड बनता है और किडनियां ज्यादा फ्लुइड की प्रोसेसिंग करती हैं जिससे ज्यादा यूरिन बनता है। प्रेग्नेंसी के दौरान यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन की संभावना भी बढ़ जाती है।

6. ओवरएक्टिव ब्लैडर
इस समस्या के दौरान ब्लैडर की मांसपेशियां अपने आप सिकुड़ने लगती हैं और पीड़ित व्यक्ति को बार-बार यूरिन जाने का अहसास होता है। आमतौर पर यह सोचा जाता है कि बुढ़ापे की वजह से मांसपेशियां कमजोर होने से यह समस्या होती है लेकिन ऐसा नहीं है। इस बीमारी की समय पर जांच करवाना जरूरी है। लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी इस समस्या से बचा जा सकता है।

इंदौर के एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर के डॉक्टर ए.के. द्विवेदी बताते हैं कि यूरिन संबंधी परेशानियां अन्य बीमारियों के समान ही हैं और इनका समय पर इलाज करवाने से ये ठीक हो जाती हैं। इन्हें छिपाना नहीं चाहिए और न ही नीम हकीमों के चक्कर में पड़ना चाहिए। होम्योपैथी में इन बीमारियों का आसान इलाज उपलब्ध है। सही समय पर डॉक्टर से संपर्क करेंगे तो अधिक गंभीर समस्या होने से बचा जा सकता है यदि समय रहते इलाज नहीं कराया तो प्रोस्टेट कैंसर या किडनी की जटिल बीमारी हो सकती है।

शिवपुरी के अंकेश की पथरी होम्योपैथिक इलाज से हुई ठीक

शिवपुरी (म.प्र.) के रहने वाले अंकेश वर्मा को 2017 में पथरी की शिकायत हुई थी जिसके बाद उन्होंने इंदौर के एडवांड होम्यो हेल्थ सेंटर में डॉ. ए.के. द्विवेदी को दिखाकर उनसे उपचार लिया। अंकेश बताते हैं कि मात्र 5-6 दिनों में ही उनकी पथरी पेशाब के रास्ते निकल गई। हालांकि जिम के ट्रेनर द्वारा ली गई दवा की वजह से 4 महीने बाद अंकेश को दोबारा पथरी बन गई। अंकेश दोबारा डॉक्टर द्विवेदी से मिले और फिर से होम्योपैथिक ट्रीटमेंट लिया जिससे 14-15 दिन में पथरी निकल गई और उन्हें इसके बाद अभी तक कभी पथरी की समस्या नहीं हुई।

वर्तमान में डॉ ए.के. द्विवेदी एडवांस्ड होम्योपैथी क्लिनिक के संचालक तथा एस के आर पी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज इंदौर में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष फिजियोलॉजी एवं बायोकेमिस्ट्री के पद पर कार्य करते हुए केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसधान परिषद् आयुष मंत्रालय भारत सरकार में साइंटिफिक एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रहें है।

3. यूरिनरी ट्रैक्ट का इन्फेक्शन
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानि यूटीआई महिलाओं की आम समस्या है, लेकिन यह पुरुषों को भी हो सकता है। इसकी वजह से बार-बार यूरिन जाना पड़ता है और यूरिन के दौरान जलन और दर्द हो सकता है। आमतौर पर यूटीआई होम्योपैथि दवा लेने से आसानी से ठीक हो जाता है । इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि अंदरूनी अंगों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए।

4. मधुमेह
शुगर की बीमारी यानी मधुमेह में भी यूरिन संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। मधुमेह से पीड़ित लोगों को बार-बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि ब्लड में शुगर बढ़ने से हमारी किडनियां उसकी प्रोसेसिंग पूरी तरह नहीं कर पातीं और यूरिन द्वारा शुगर पास होता है जिससे जलन होती है, साथ ही यूरिन के जरिए ढेर सारा पानी निकल जाता है जिससे प्यास लगती है और बार-बार पानी पीने से बार-बार यूरिन जाना पड़ता है। होम्योपैथि के मिलिसिमल पोटेंसी की दवा इसपर काफी कारगर है।

5. प्रेग्नेंसी
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव भी यूरिन संबंधी परेशानी पैदा करते हैं। इसके अलावा गर्भाशय में बढ़ते बच्चे के लिए जगह बनाने से ब्लैडर पर दबाव पड़ता है। ब्लैडर छोटा होने से ज्यादा यूरिन जमा नहीं कर पाता और गर्भवती महिला को जल्दी-जल्दी यूरिन करने की आवश्यकता पड़ती है। प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में ज्यादा ब्लड बनता है और किडनियां ज्यादा फ्लुइड की प्रोसेसिंग करती हैं जिससे ज्यादा यूरिन बनता है। प्रेग्नेंसी के दौरान यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन की संभावना भी बढ़ जाती है।

6. ओवरएक्टिव ब्लैडर
इस समस्या के दौरान ब्लैडर की मांसपेशियां अपने आप सिकुड़ने लगती हैं और पीड़ित व्यक्ति को बार-बार यूरिन जाने का अहसास होता है। आमतौर पर यह सोचा जाता है कि बुढ़ापे की वजह से मांसपेशियां कमजोर होने से यह समस्या होती है लेकिन ऐसा नहीं है। इस बीमारी की समय पर जांच करवाना जरूरी है। लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी इस समस्या से बचा जा सकता है।

इंदौर के एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर के डॉक्टर ए.के. द्विवेदी बताते हैं कि यूरिन संबंधी परेशानियां अन्य बीमारियों के समान ही हैं और इनका समय पर इलाज करवाने से ये ठीक हो जाती हैं। इन्हें छिपाना नहीं चाहिए और न ही नीम हकीमों के चक्कर में पड़ना चाहिए। होम्योपैथी में इन बीमारियों का आसान इलाज उपलब्ध है। सही समय पर डॉक्टर से संपर्क करेंगे तो अधिक गंभीर समस्या होने से बचा जा सकता है यदि समय रहते इलाज नहीं कराया तो प्रोस्टेट कैंसर या किडनी की जटिल बीमारी हो सकती है।

शिवपुरी के अंकेश की पथरी होम्योपैथिक इलाज से हुई ठीक

शिवपुरी (म.प्र.) के रहने वाले अंकेश वर्मा को 2017 में पथरी की शिकायत हुई थी जिसके बाद उन्होंने इंदौर के एडवांड होम्यो हेल्थ सेंटर में डॉ. ए.के. द्विवेदी को दिखाकर उनसे उपचार लिया। अंकेश बताते हैं कि मात्र 5-6 दिनों में ही उनकी पथरी पेशाब के रास्ते निकल गई। हालांकि जिम के ट्रेनर द्वारा ली गई दवा की वजह से 4 महीने बाद अंकेश को दोबारा पथरी बन गई। अंकेश दोबारा डॉक्टर द्विवेदी से मिले और फिर से होम्योपैथिक ट्रीटमेंट लिया जिससे 14-15 दिन में पथरी निकल गई और उन्हें इसके बाद अभी तक कभी पथरी की समस्या नहीं हुई।

वर्तमान में डॉ ए.के. द्विवेदी एडवांस्ड होम्योपैथी क्लिनिक के संचालक तथा एस के आर पी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज इंदौर में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष फिजियोलॉजी एवं बायोकेमिस्ट्री के पद पर कार्य करते हुए केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसधान परिषद् आयुष मंत्रालय भारत सरकार में साइंटिफिक एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं प्रदान कर रहें है।