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Masik Shivratri 2023: चैत्र मासिक शिवरात्रि आज, जानिए शिव जी की पूजा विधि और महत्व

Masik Shivratri 2023: प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का विधान है। मासिक का अर्थ है ‘माह या मास’ और शिवरात्रि का अर्थ है ‘शिव जी की रात’। इस दिन रात्रि प्रहर की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन व्रत, पूजन के साथ ही भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत ही शुभ रहता है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही शिव जी की कृपा से असंभव और कठिन कार्यों को भी पूरा किया जा सकता है। मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। चैत्र माह की मासिक शिवरात्रि 20 मार्च 2023 को मनाई जा रही है। ऐसे में चलिए जानते हैं चैत्र माह की शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि…

चैत्र मासिक शिवरात्रि 2023 तिथि 
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 20 मार्च को प्रातः 04 बजकर 55 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन 21 मार्च मंगलवार को देर रात 01 बजकर 47 मिनट पर होगा। भगवान शिव की पूजा रात्रि के प्रहर में होती है, इसलिए मासिक शिवरात्रि 20 मार्च को मनाई जा रही है।

चैत्र मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त
20 मार्च को पूजा का मुहूर्त देर रात 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक है। ऐसे में इस दिन निशिता काल में पूजा के लिए करीब 47 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है।

शिवरात्रि का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, शिवरात्रि शिव जी की प्रिय तिथि है। इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं। साथ ही भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं। शिवरात्रि पर व्रत पूजन करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सकारात्मकता का संचार होता है। वहीं समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है।

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि
  • मासिक शिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करें।
  • इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी करनी चाहिए।
  • फिर शिव जी के समक्ष पूजा स्थान में दीप प्रज्वलित करें।
  • यदि घर पर शिवलिंग है तो दूध, और गंगाजल आदि से अभिषेक करें।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा आदि अवश्य अर्पित करें।
  • पूजा करते समय नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें।
  • अंत में भगवान शिव को भोग लगाएं और आरती करें।

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