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ओबीसी सूची पर बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम मामले में सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार की नई ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सूची के लागू होने पर अंतरिम रोक लगाई गई थी। यह फैसला राज्य सरकार के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
बता दें कि मामले में पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में ओबीसी-ए और ओबीसी-बी श्रेणियों में 140 उपवर्गों को आरक्षण देने के लिए एक नई सूची अधिसूचित (जारी) की थी। लेकिन 17 जून 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस सूची के क्रियान्वयन पर अस्थायी रोक लगा दी थी। मामले में हाईकोर्ट का कहना था कि इन वर्गों को जोड़ने की प्रक्रिया ठीक से नहीं अपनाई गई और इस पर जांच जरूरी है।
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की दलीलों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा पहली नजर में हाईकोर्ट का आदेश गलत लगता है। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ऐसा आदेश कैसे दे सकता है? आरक्षण तय करना सरकार का काम है, अदालत का नहीं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई और राज्य सरकार की नई ओबीसी सूची को लागू करने की अनुमति दे दी।
हालांकि अब मामले में अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अगले सोमवार को होगी। तब अदालत यह देखेगी कि नई सूची कितनी वैध और प्रक्रिया के अनुसार तैयार की गई है। गौरतलब है कि इससे पहले भी मई 2024 में, कलकत्ता हाईकोर्ट ने 77 समुदायों को ओबीसी सूची में शामिल करने के फैसले को रद्द कर दिया था। कोर्ट का मानना था कि यह फैसला बिना सही प्रक्रिया अपनाए लिया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने पूरी ओबीसी सूची को फिर से तैयार कर नई अधिसूचना जारी की थी, जिसे फिर हाईकोर्ट ने रोक दिया था।

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