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जिनपिंग के ताउम्र राष्ट्रपति बने रहने पर संसद की मुहर:2018 में खत्म की थी 2 टर्म प्रेसिडेंट की शर्त, ली कियांग को बनाएंगे प्रीमियर

चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने शुक्रवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल को तीसरी बार बढ़ा दिया। उन्हें तीसरी बार राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव 2,977 वोटों से पास हुआ। अक्टूबर 2022 में हुई चाइना कम्युमिस्ट पार्टी (CCP) की बैठक में उन्हें तीसरी बार चीन का राष्ट्रपति चुना गया था। अब वो अपने भरोसेमंद ली कियांग को चीन का प्रीमियर, यानी प्रधानमंत्री बनाएंगे।

तीसरी बार कार्यकाल बढ़ाए जाने से एक दिन पहले ही शी जिनपिंग ने नेशनल पीपल्स कांग्रेस में चीन के लिए अपनी प्राथमिकताओं को साफ कर दिया था। गुरुवार को उन्होंने सेना को मजबूती देने की बात कही थी। शी जिनपिंग ने संसद में कहा था- हमें सेना का तेजी से विस्तार करना होगा और चीन को स्ट्रैटेजिक चुनौतियों और खतरों से बचाने के लिए पीपल्स लिबरेशन आर्मी को दुनिया की टॉप क्लास फौज बनना होगा।

शी ने बढ़ाया सेना का बजट
चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने पिछले हफ्ते ही डिफेंस बजट पर घोषणा की थी। चीन अपनी रक्षा पर साल 2023 में 18 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगा। यह भारत के डिफेंस बजट से लगभग 3 गुना ज्यादा है। डिफेंस बजट में 7.2% की बढ़ोतरी की गई है। इसके लिए वहां की कम्युनिस्ट सरकार ने बाहरी चुनौतियों का हवाला दिया।

शी जिनपिंग के सामने कोरोना से तबाह हुई चीन की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना, ताइवान और अमेरिका के साथ लगातार खराब हो रहे रिश्ते अहम चुनौतियां होंगी। 2012 में जब शी जिनपिंग पहली बार सत्ता में आए थे उस समय उन्होंने चाइनीज ड्रीम को पूरा करने यानी चीन को दुनिया की बड़ी ताकत बनाने की बात कही थी। तब से उनका मेन फोकस चीनी सेना यानी पीपल्स लिबरेशन आर्मी को और मजबूत बनाने पर रहा है।

लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं शी जिनपिंग
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक शी जिनपिंग चीन के सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं। उन्हें ये सारी ताकत राष्ट्रपति होने की वजह से नहीं बल्कि, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का जनरल सेक्रेटरी होने की वजह से मिली हुई है।

कम्युनिस्ट पार्टी और चाइना सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़े पार्टी मानी जाती है, जिसके 89 मिलियन मेंबर्स हैं। चीन के पॉलिटिकल सिस्टम की सभी ब्रांचों पर इसका ही दबदबा रहता है। पिछले साल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उस नियम खत्म कर दिया था जिसमें कोई नेता केवल दो बार ही राष्ट्रपति बन सकता है। इस बदलाव के बाद शी जिनपिंग के जीवन भर राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया था। जिनपिंग चीन के उन नेताओं में शामिल हो चुके हैं जिनके विचारों को संविधान में शामिल किया जा चुका है।

भारत-चीन बॉर्डर पर टकराव बढ़ सकता है
भारत और चीन के बीच चार हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबा बॉर्डर है। इसमें कई जगह पर विवाद है। डोकलाम और गलवान घाटी के विवाद भी इसी तरह के थे। जिनपिंग को आजीवन प्रेसिडेंट बने रहने की आजादी से असीमित ताकत मिल जाएगी। ऐसे में चीन बॉर्डर के साथ लाइन ऑफ कंट्रोल पर अपनी ताकत दिखा सकता है। इससे भारत की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

BRI और पाकिस्तान में कॉरिडोर को बढ़ावा
जिनपिंग के प्रेसिडेंट रहने के दौरान ही चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, यानी BRI प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। इसके जरिए वन बेल्ट वन रोड के जरिए चीन दुनिया भर के देशों को जोड़ रहा है। भारत के पड़ोसी देशों में इस सड़क से चीनी सैन्य बलों की आवाजाही आसान हो जाएगी। वहीं, जिनपिंग की अगुआई में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर को बढ़ावा मिलेगा, जिसका भारत विरोध करता रहा है।

भारत को तीन तरफ से घेरने की रणनीति
चीन के कर्ज तले दबकर श्रीलंका बदहाल हो चुका है। अब चीन उसका हंबनटोटा पोर्ट इस्तेमाल कर रहा है। हाल ही में चीन का जासूसी जहाज भी वहां पहुंचा था। इधर, पाकिस्तान को चीन लगातार सैन्य सहायता दे रहा है। इनमें आधुनिक हथियार भी शामिल हैं, जिनका सीधा टारगेट भारत ही है। वहीं, नेपाल में भी चीन BRI के जरिए अपना दखल बढ़ा रहा है। इससे भारत की तीन तरफ से घेराबंदी होने का खतरा बढ़ गया है।

 इंडो-पेसिफिक और हिंद महासागर में दखल
हिंद महासागर में चीनी नौसेना का दखल तो है ही, साथ ही साउथ चाइना सी (दक्षिण चीन सागर) में उसका जापान, वियतनाम, फिलिपींस और मलेशिया से भी टकराव है। शेनकाकू आईलैंड्स को लेकर उसका जापान से पुराना टकराव है। चीन इन आईलैंड्स पर कब्जा करके वहां फाइटर जेट्स और मिसाइल तैनात करना चाहता है। इससे भारत की सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा।

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