अन्नू कपूर का खास कॉलम ‘कुछ दिल ने कहा’:जब तड़पते बालक को अनुपम खेर ने दिया था सहारा

च र्चा 1985 की जनवरी में चेम्बूर में चल रही फ़िल्म ‘स्वार्थी’ की शूटिंग की! इंटरनेट इंफो के अनुसार इस फ़िल्म के निर्देशक थे राधाकांत, परंतु अनुपम खेर से तस्दीक़ करने पर उन्होंने निर्देशक का नाम चंद्रकांत बताया। तो ‘चंद्रमुखी हो या पारो, कोई फ़रक नहीं है यारों’, हमें तो असली कहानी से मतलब है जो बहुत मार्मिक है।

मई 1984 में आई फ़िल्म ‘सारांश’ से अनुपम खेर ने फ़िल्म जगत में एक तगड़े अभिनेता के तौर पर अपने पैर जमाने शुरू कर दिए थे। लगातार काम मिल रहा था और वो किए जा रहे थे।

बॉम्बे में गिने-चुने स्टूडियो बचे थे, जिनमें मुट्ठी भर मेकअप रूम्स हुआ करते थे। जो जितना बड़ा स्टार, उसका मेकअप रूम उतना ही बड़ा। वैनिटी वैन का कॉन्सेप्ट अभी बॉम्बे नहीं आया था। पहली वैनिटी वैन बनवाने का श्रेय पूनम ढिल्लों को जाता है।

तो चेम्बूर में जहां शूटिंग चल रही थी, वहां कुछ मेकअप रूम्स अस्थाई तौर पर प्रोडक्शन वालों ने खड़े कर दिए थे, लेकिन अनुपम खेर को ये रूम सीनियर स्टार सुरेश ओबेरॉय के साथ साझा करना पड़ रहा था। ये वरिष्ठ कलाकार थोड़े अकड़ू, थोड़े तुनकमिज़ाज और थोड़े से घमंडी भी लगे, लेकिन एक मंजर ने अनुपम के इन ख़यालों पर मोहर भी लगा दी।

जब सुरेश ओबेरॉय का ख़ादिम दत्तू उनके जूते के तस्मे बांध रहा था, तो उस समय ओबेरॉय ने अपने पैर दत्तू की गोद में रख रखे थे और वो खुद एक कुर्सी पर टांगें पसराए बैठे थे। ख़ादिम दत्तू ने गलती से जूते के तस्मे जरा कस के बांध दिए। सुपर स्टार सुरेश ओबेरॉय का ग़ुस्सा अंगार बनकर बरस पड़ा और उसने बालक दत्तू को ऐसी ज़ोरदार लात मारी कि छोटा बालक दर्द से तड़प उठा।

स्टार की जूते की मार उसके पेट पर पड़ी थी। उसकी कराह और पीड़ा अनुपम से बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने इसका प्रतिरोध किया। इस पर ओबेरॉय और भड़क उठे और तीखे स्वर में अनुपम खेर से बोले, ‘मैं इस लड़के को छह हफ़्ते से झेल रहा हूं। अगर मेरी जगह कोई और होता तो छह दिन भी बर्दाश्त नहीं कर पाता।’

सुरेश की यह बात अनुपम खेर के लिए एक चुनौती बनकर सामने आई, जिसे उन्होंने उसी समय स्वीकार कर लिया और फ़ैसला ले लिया कि ये ग़रीब बालक दत्तू अब उनके पास ही नौकरी करेगा!

किसी दर्द मंद के काम आ
किसी डूबते को उछाल दे
ये निगाह ए नाज़ की मस्तियां
किसी बदनसीब पे डाल दे!

उस लड़के का पूरा नाम था ‘दत्तू सामंत’ और यही दत्तू सामंत पिछले 38 सालों से अनुपम खेर के परिवार का सदस्य बनकर उनकी सेवा में कार्यरत है। दत्तू अपने साहेब के लिए समर्पित है, ईमानदार है, उनकी हर ज़रूरत का ध्यान रखता है और अनुपम खेर के साथ आधे विश्व का भ्रमण भी कर चुका है।

7 मार्च को श्री अनुपम खेर का जन्मदिवस है। आपको जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आप दीर्घायु हों, स्वस्थ रहें, आनंद में रहें और जैसे निर्धन दत्तू को आप जैसा धनवान और सामर्थवान मिला, वैसे ही हर किसी को करुणा के स्रोत का शीतल और सुखमय जल प्राप्त हो सके!

जिस दर्शन और चिंतन में समस्त मनुष्य जाति के हित, कल्याण और मंगल की प्रार्थना की गई हो, ऐसी सुगंधित पवन, ऐसी शुद्ध मरुत भी केवल भारत भूमि से ही बह सकती है, केवल भारत भूमि से!

सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥

अर्थात्, सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। ये प्रार्थना है! इसमें ना कोई मूरत है ना कोई अमूरत है, ना कोई दैर ओ हरम है ना काबा है ना कलीसिया है ना ईश्वर है ना अल्लाह है ना ईसा है ना मूसा है, कोई टर्म्स एंड कंडिशन्स नहीं हैं, कोई हिडन एजेंडा नहीं है!

वृहदारण्यक उपनिषद के इस श्लोक को जिसने भी लिखा होगा, उससे बड़ा और उत्तम प्रेमी इस विश्व को शायद ही कभी मिल पाए!