3 साल के बच्चे ने बदली ABCD की परिभाषा:A फॉर एप्पल और B फॉर बॉल की जगह अर्जुन और बलराम बताया, भागवत गीता का भी ज्ञान

कहते हैं प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती है। ये बात मथुरा के तीन साल के भागवत पर एकदम सटीक बैठती है। भागवत ने अपने लिए ABCD की परिभाषा ही बदल डाली है। वह ABCD में A से Z तक में भगवान के नाम का उच्चारण करता है। वह A फॉर एप्पल और B फॉर बॉल की जगह A फॉर अर्जुन और B फॉर बलराम (श्री कृष्ण के भाई) के नाम लेता है।
आगे बढ़ने से पहले जानते हैं भागवत के बारे में
मथुरा के गोवर्धन में रह रहे भागवत के पिता पेशे से इंजीनियर हैं। तीन साल तीन महीने का बच्चा भागवत इस्कॉन के संस्थापक भक्ति वेदांत प्रभु पाद जी से प्रेरित है। वह गुरुग्राम के रहने वाले हैं। तीन साल के भागवत ए से अर्जुन, बी से बलराम, सी से चैतन्य और डी से दामोदर के अलावा जेड तक इसी तरह हर अक्षर में भगवान का नाम बताते हैं।
‘भगवान प्रभुपाद ने कहा- कृष्ण भक्ति करो’
गिव गीता गुरुकुल में पढ़ रहे भागवत ने बताया, “गीता जीवन का सार है। गीता ज्ञान का भंडार है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि हर इंसान को जीवन के जन्म मरण के चक्र को जान लेना बेहद आवश्यक है। मुझे कृष्ण भक्ति की प्रेरणा मिलती है।’
‘कृष्णा प्रभु के नाम का कीर्तन करने से बौद्धिक संसार से छुटकारा मिल जाता है, आपको कृष्ण के दर्शन करने हैं तो आप भी हरे कृष्ण मंत्र का कीर्तन करो। ए फॉर अर्जुन, बी फॉर बलराम, सी फॉर चैतन्य, डी फॉर दामोदर। ए फॉर एपल नहीं ए फॉर अर्जुन होता है। प्रभुपाद जी ने सिखाया है। राधा रानी कौन हैं ब्रज की महारानी हैं ,ब्रज में कौन आता है जिस पर राधा रानी की कृपा हो जाती है, राधा रानी का कुंड राधा कुंड है, राधा रानी की सखियां हैं ललिता ,विशाखा राधा रानी से प्रार्थना करता हूं। हे राधा रानी कब कृपा करोगी।’
महज एक साल की उम्र में दिखी थी कृष्ण भक्ति
बच्चा गीता के बारे में बताता है। मृदंग बजाते हुए महामंत्र का भी बड़े सुंदर अंदाज में गायन करता है। भागवत के पिता अकाम भक्ति दास ने बताया, “भागवत जब एक साल का था। उसी दौरान से श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर उसकी कृष्ण भक्ति नजर आई। इसके बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ी तो भागवत ने अपने अंदाज में कृष्ण भक्ति की।’ भागवत के पिता का मानना है कि आध्यात्मिक ज्ञान होना व्यक्ति के जीवन में जरूरी है।’
‘भागवत मृदंग और कीर्तन करने में है निपुण’
पिता अकाम भक्ति दास ने बताया, “खेलने की उम्र में आध्यात्मिक ज्ञान भागवत की प्रतिभा को विलक्षण बनाता है। भागवत न केवल ABCD, गीता आदि के बारे में बताता है। बल्कि मृदंग बजाते हुए महामंत्र का भी बड़े सुंदर अंदाज में गायन करता है। भागवत के इस अंदाज को जो कोई देखता है वह उसका कायल हो जाता है।’
भागवत के पिता ने बताया कि इसमें सबसे ज्यादा जिसने सिखाया वह हैं उनके शिक्षा गुरु वृंदावन चंद्र दास। उन्होंने सिखाया कि बच्चे को भगवान से जोड़ना चाहिए। भगवान के नामों के बारे में बताना चाहिए,कीर्तन करें,भक्ति कर सकते हैं । बचपन में यह ज्ञान मिल जाएगा तो बड़े होकर जो माया है। आकर्षण है जिसमें बच्चे फंस जाते हैं उसमें नहीं फांसेंगे। वर्तमान में देखा जाता है कि स्टूडेंट टेंशन में हैं। सुसाइड कर रहे हैं उनको कैसी शिक्षा दी जा रही है।
भागवत ने यह सब गिव गीता गुरुकुल के अंदर सीखा है। हम बच्चे को गलत शिक्षा नहीं देते। बचपन उसी तरह है जैसे कोई पौधा लगाओ और उसको जैसे मोड़ो मुड़ जाता है। मगर, पेड़ बनने पर नहीं उसी तरह बचपन है। यह सीखने की उम्र है। भागवत गुरुकुल जाता हैं। वहां उसे भगवान की फोटो वाली किताब दिखाई जाती हैं श्लोक सिखाए जाते हैं। शास्त्र कहते हैं बच्चा जब गर्भ में हो तो मां को सबसे ज्यादा आध्यात्मिक माहौल देना चाहिए। मां की जिम्मेदारी है बच्चे को आध्यात्मिक ज्ञान दे।