दिमाग की रफ्तार बढ़ाने का अजीब तरीका:घर पर बिजली के झटके ले रहे लोग, ब्रेन फॉग खत्म करने के लिए हो रहा है इसका इस्तेमाल
कोरोना महामारी के बाद से ही ‘ब्रेन फॉग’ शब्द का इस्तेमाल होता आया है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों को लगातार भूलने या फोकस करने में दिक्कत हो रही है। ये कोरोना का एक साइड इफेक्ट है। अब इससे निपटने के लिए लोग एक अजीबोगरीब तरीका अपना रहे हैं। वे खुद को बिजली के झटके दे रहे हैं।
पहले जान लें, क्या है ब्रेन फॉग?
यह अपने आप में कोई मेडिकल प्रॉब्लम नहीं है, बल्कि इससे होने वाला साइड इफेक्ट है। ब्रेन फॉग की कंडीशन में व्यक्ति के व्यवहार में तेजी से बदलाव आता है। ऐसे लोगों में हमेशा थकान, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, सिर दर्द, किसी काम में मन न लगना, नींद न आना और छोटी-छोटी बातें भूल जाना जैसी परेशानियां देखने को मिलती हैं।
ब्रेन फॉग से छुटकारा पाने के लिए कुछ लोग एट-होम ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक अपना रहे हैं। इसमें घर पर ही शरीर को बिजली के झटके दिए जाते हैं, ताकि दिमाग की रफ्तार पहले जितनी तेज हो जाए। तकनीक में सिर पर इलेक्ट्रोड जोड़े जाते हैं। इनसे दिमाग तक धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक शॉक पहुंचता है। वैज्ञानिकों की मानें तो इसकी साइंस अभी अर्ली स्टेज में है। ब्रेन स्टिमुलेशन 2010 के दशक से ही इस्तेमाल में आया है।
बुजुर्गों पर हुई रिसर्च
पिछले साल अगस्त में नेचर न्यूरोसाइंस जर्नल में इसको लेकर एक स्टडी भी पब्लिश हुई थी। इसमें 65 से 88 साल की उम्र के 150 लोगों को शामिल किया गया। इन्हें किसी न किसी तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर था। इन्हें 20 मिनट के लिए हफ्ते में 4 दिन झटके दिए गए। ऐसा एक महीने तक चला। स्टडी में शामिल वैज्ञानिकों का कहना था कि कुछ समय बाद अस्पतालों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि घरों तक पहुंचने लगेगा। यह हकीकत में हो भी रहा है।
रिसर्चर्स का कहना है कि यह तकनीक भविष्य में कैफीन जैसे इस्तेमाल हो सकती है। यानी आज जिस तरह ब्रेन एक्टिविटी को बढ़ाने के लिए लोग कॉफी या चाय पीते हैं, उसी तरह एक दिन अपने दिमाग को झटके देंगे। फिलहाल घर पर ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक को इस्तेमाल करने वाले यूजर्स का कहना है कि उन्हें इससे फायदा हो रहा है। उनका दिमाग पहले से ज्यादा अलर्ट बन गया है।
एक्सपर्ट्स की चेतावनी- हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स
ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक को आमतौर पर अस्पतालों में डॉक्टर्स की देखरेख में आजमाया जाता है। आज घर पर हो रहे इसके इस्तेमाल ने हेल्थ एक्सपर्ट्स की चिंता बढ़ा दी है। पेनसिलवेनिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ऐना वेक्सलर ने कहा- घर पर ब्रेन स्टिमुलेशन के जरिए मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर्स को ठीक करने का ट्रेंड बढ़ा है। इसमें डिप्रेशन और एंग्जाइटी सबसे ऊपर हैं।
यूजर्स एट-होम ब्रेन स्टिमुलेशन डिवाइस को दिन में दो बार इसे 20 मिनट के लिए इस्तेमाल करते हैं। हावर्ड मेडिकल स्कूल के डॉक्टर माइकल फॉक्स का कहना है कि लोगों के लिए घर पर मेंटल हेल्थ का इलाज करना एक्साइटिंग है, इसलिए यह ट्रेंड बढ़ रहा है। हालांकि, इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इनमें खुजली, झुनझुनी और त्वचा जलना शामिल है। तकनीक को मेडिकल सुपरविजन में उपयोग करना ही सही है।