संत रविदास की सीख:बुरे लोग गलत काम ही करेंगे, हमें ये तय करना चाहिए कि हम बुरे लोगों की वजह से अपनी अच्छाई नहीं छोड़ेंगे

रविवार, 5 फरवरी को संत रविदास जी की जयंती है। संत रविदास अपने विचारों और अपने प्रेरक जीवन की वजह से आज भी याद किए जाते हैं। जो लोग उनके विचारों को अपने जीवन में उतार लेते हैं, वे कई परेशानियों से बचे रहते हैं और उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। यहां जानिए संत रविदास जी से जुड़ा एक ऐसा किस्सा, जिसमें उन्होंने अपनी अच्छाई नहीं छोड़ने की सीख दी है।

संत रविदास के पास एक व्यक्ति अक्सर जूते ठीक करवाने आता था, लेकिन वह काम के बदले खोटे सिक्के देकर जाता था। एक दिन उस व्यक्ति ने संत रविदास के एक शिष्य के साथ भी ऐसा ही किया।

दरअसल रविदास जी कहीं बाहर गए थे और उनकी जगह उनका एक शिष्य जूते ठीक करने का काम कर रहा था। खोटे सिक्के देने वाला व्यक्ति उस दिन भी आया और शिष्य से जूते ठीक कराकर खोटे सिक्के देने लगा। शिष्य उसे पकड़ लिया और उसे डांट लगा दी। शिष्य ने उसके सिक्के और जूते ठीक किए बिना ही उसे लौटा दिए।

जब रविदास जी लौटकर आए तो शिष्य ने उन्हें पूरी घटना सुनाई। संत रविदास ने शिष्य से कहा कि तुम्हें उसे डांटना नहीं था, बल्कि उसके जूते ठीक कर देने थे। मैं तो ऐसा ही करता हूं। मैं ये बात भी जानता हूं कि वह खोटे सिक्के देकर जाता है।

ये बात सुनकर शिष्य चौंक गया। उसने पूछा कि आप ऐसा क्यों करते हैं?

संत रविदास ने उसे समझाया कि मैं ये बात नहीं जानता कि वह ऐसा क्यों करता है, लेकिन जब वो खोटे सिक्के देता है तो मैं रख लेता हूं और मेरा काम ईमानदारी से कर देता हूं।

शिष्य ने आगे पूछा कि आप उन खोटे सिक्कों का क्या करते हैं?

संत रविदास बोले कि मैं उन सिक्कों को जमीन में गाढ़ देता हूं, ताकि वह व्यक्ति इन सिक्कों से किसी और को न ठग सके। दूसरों को ठगी से बचाना भी एक सेवा ही है। अगर कोई व्यक्ति गलत काम करता है तो हमें उसे देखकर अपनी अच्छाई नहीं छोड़नी चाहिए।

किस्से की सीख

इस किस्से में संत रविदास जी ने हमें संदेश दिया है कि बुरे लोग तो गलत काम ही करेंगे, लेकिन उनकी वजह से हमें अपनी अच्छाई नहीं छोड़नी चाहिए। हमें अपना काम ईमानदारी से ही करना चाहिए।