ठगी का अनोखा तरीका: एटीएम से रुपए बाहर आने की आवाज सुनते ही मशीन का स्विच बंद कर निकालते थे रकम, एक गिरफ्तार

पंजाब नेशनल बैंक की मुखानी शाखा की प्रबंधक ने  पुलिस से शिकायत की थी। इसके बाद से पुलिस शातिरों की तलाश में जुटी हुई थी।

आगरा के जालसाजों ने हल्द्वानी में पंजाब नेशनल बैंक को 1.17 लाख रुपये की चपत लगा दी। एटीएम से पैसे निकालते समय मशीन का स्विच बंद कर फंसे रुपये खींचकर निकाल लिए। बाद में बैंक से शिकायत कर रुपये वापस खाते में भी जमा करा लिए। ठगे जाने के बाद मुखानी स्थित बैंक शाखा के प्रबंधक ने रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने एक आरोपी को ताजगंज से गिरफ्तार किया है, जबकि तीन आरोपी फरार हैं।

पंजाब नेशनल बैंक की मुखानी शाखा की प्रबंधक प्रतिभा जोशी ने पुलिस से शिकायत की थी। इसमें कहा कि 14 और 21 जनवरी को बैंक शाखा के पास संचालित एटीएम से खाताधारक नईम ने 20 हजार, जबकि फरमान खान ने पहले 20 हजार, फिर 20 हजार, फरहान ने 18 हजार रुपये, हसन रजा ने 39500 की राशि डेबिट कार्ड के जरिये निकाली। इसके बाद बैंक में जाकर रकम मशीन में फंसने और खाते से रकम कटने की शिकायत की थी। इस पर बैंक ने नियमानुसार चारों के खातों में 117500 रुपये वापस कर दिए।

तकनीकी जांच में जालसाजी की बात सामने आई तो चारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई। पुलिस ने बताया कि चारों आरोपी आगरा के रहने वाले हैं। पुलिस ने ताजगंज क्षेत्र से फरमान को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। वहां की बैंक शाखा की ओर से खाता बंद होने की जानकारी उस तक पहुंचाई। कागजी कार्यवाही के लिए फरमान खान को बैंक बुलाया गया। वहां पहले से मौजूद आरटीओ चौकी प्रभारी प्रीति और एसओजी प्रभारी राजवीर सिंह समेत टीम ने फरमान को पकड़ लिया। वह नगला मेवाती का रहने वाला है। संवाद

ऐसे की ठगी   चारों आरोपी बारी-बारी से एटीएम में पहुंचे। डेबिट कार्ड लगाकर रकम निकासी की। रकम निकलने के दौरान उन्होंने एटीएम के बिजली कनेक्शन का बटन बंद कर दिया। इससे मशीन बंद हो गई और रकम आधी फंसी रह गई। रकम को खींचकर बाहर निकाला और बैंक में जाकर रुपये मशीन में फंसने की शिकायत कर दी। इसके बाद बैंक की ओर से उनके खाते में राशि वापस कर दी गई।मास्टरमाइंड है फरमान  पुलिस की पूछताछ में पता चला कि फरमान मास्टरमाइंड है। उसका साथी फरहान है। वह दिल्ली में बैठकर एटीएम की जानकारी रखता था। उसके साथी अलग-अलग जिलों में जाते थे। ऐसे एटीएम को चुनते थे, जिनमें गार्ड नहीं रहता है। वह साथियों के संग जाकर रुपये निकलते ही मशीन को बंद कर देते थे। इसके बाद रुपये निकाल लेते थे। टोल फ्री नंबर पर शिकायत करते थे, जिससे सात दिन में उन्हें रकम वापस मिल जाती थी।