पाकिस्तान में 47 साल बाद सबसे ज्यादा महंगाई:जनवरी में इन्फ्लेशन रेट 27.6% रहा, 9 फरवरी के बाद और बढ़ेगा

पाकिस्तान में इस वक्त महंगाई दर 27.6% है। यह 1975 के बाद सबसे ज्यादा है। उस वक्त यह 27.77 हो गई थी। 31 जनवरी को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF की एक टीम पाकिस्तान पहुंची है। यह 6 अरब डॉलर के लोन की अगली किश्त (1.2 अरब डॉलर) जारी करने की शर्तों पर बातचीत कर रही है। IMF ने बेहद सख्त शर्तें रखी हैं। इतना ही नहीं उसने इन तमाम शर्तों को पूरा करने के लिए पॉलिटिकल गारंटी भी मांगी है। IMF चाहता है कि पाकिस्तान सरकार इलेक्ट्रिसिटी और फ्यूल को 60% तक महंगा करे। टैक्स कलेक्शन दोगुना करने को कहा गया है। लिहाजा, यह तय माना जा रहा है कि 9 फरवरी को जब IMF और शाहबाज सरकार की बातचीत खत्म होगी और अगर सरकार यह शर्तें मान लेती है तो महंगाई करीब-करीब दोगुनी हो जाएगी।
सरकार ने जारी की रिपोर्ट
- 2022 जनवरी में महंगाई दर 13% थी। इसके मायने ये हुए कि महज एक साल में इन्फ्लेशन रेट यानी महंगाई दर दोगुने से ज्यादा हो गई। यह आंकड़ा पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स (PBS) ने बुधवार दोपहर जारी किया। PBS के मुताबिक- 1975 के बाद महंगाई सबसे ज्यादा है। उस वक्त यह आंकड़ा 27.77% था।
- सरकार के लिए एक बहुत बड़ी परेशानी या कहें शर्मिंदगी की बात यह है कि इस वक्त कराची पोर्ट पर करीब 6 हजार कंटेनर्स खड़े हैं। इन्हें अनलोड सिर्फ इसलिए नहीं किया जा सका है, क्योंकि बैंकों के पास डॉलर नहीं हैं और इस वजह से पेमेंट नहीं हो रहा है।
- कारोबारियों को तो तगड़ा नुकसान हो ही रहा है, इससे बड़ी परेशानी आम लोगों के लिए है, क्योंकि इन कंटेनर्स में रोजमर्रा की जरूरतों का सामान जैसे फल और सब्जियां भी हैं। यह करीब-करीब खराब हो चुके होंगे। अब तो यह हालात हो चुके हैं कि पोर्ट पर नए कंटेनर्स के खड़े होने की जगह तक नहीं बची है।
- डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया भी तेजी से गिरता जा रहा है। गुरुवार को डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी करेंसी वैल्यू 270 रुपए हो गई। पिछले साल इसी वक्त यह 127 रुपए थी।
एक शर्त पूरी करना मुश्किल
- पाकिस्तान के बड़े अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की बुधवार को जारी एक स्पेशल रिपोर्ट में IMF की एक ऐसी शर्त के बारे में जानकारी दी गई है, जिसे पूरा कर पाना फिलहाल मुमकिन नहीं लगता।
- रिपोर्ट के मुताबिक- IMF ने कहा है कि वो 1.2 अरब डॉलर की किश्त तभी जारी करेगा जब पाकिस्तान सरकार इसके लिए बाकी शर्तों के साथ पॉलिटिकल गारंटी भी देगी।
- पॉलिटिकल गारंटी का सीधा मतलब ये है कि अगर कोई दूसरी पार्टी, मसलन इमरान खान की पार्टी (PTI) सत्ता में आती है तो वो किसी वादे से पीछे नहीं हटेगी।
- दिक्कत ये है कि इमरान किसी दूसरी पॉलिटिकल पार्टी के किए वादों को नहीं मानेंगे। तब IMF क्या करेगा? लिहाजा, माना जा रहा है कि सरकार संसद में एक ऑर्डिनेंस लाकर यह शर्त पूरी करेगी। हालांकि, ये भी बहुत मुश्किल है। इसकी दो वजह हैं। पहली- संसद में विपक्ष है ही नहीं। दूसरी- 6 महीने बाद ऑर्डिनेंस खत्म हो जाएगा, फिर क्या होगा। बहरहाल, देखना होगा कि 9 फरवरी को IMF और शाहबाज सरकार के बीच आखिरकार क्या तय होता है और इससे पाकिस्तान दिवालिया होने से कितने दिनों तक बचेगा। इस वक्त सरकार के पास सिर्फ 3.6 अरब डॉलर बचे हैं और वो भी UAE और सऊदी अरब के हैं।
पूर्व वित्त मंत्री का दावा
दो महीने पहले तक पाकिस्तान के फाइनेंस मिनिस्टर रहे मिफ्ताह इस्माइल ने कहा है कि पाकिस्तान अब किसी भी वक्त डिफॉल्टर घोषित हो सकता है। एक टीवी शो के दौरान उन्होंने कहा- इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF हमें नए कर्ज की किश्त देने तैयार नहीं है। इमरान खान के दौर में हमारी इकोनॉमी की जो तबाही शुरू हुई, उससे हम उबर ही नहीं सके। शाहबाज शरीफ सरकार के पहले वित्त मंत्री इस्माइल को सच बोलने वाला नेता माना जाता है। यही वजह है कि उनकी जगह इशहाक डार को फाइनेंस मिनिस्टर बनाया गया। वो तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। आईएमएफ को धमकी दे रहे हैं। डार को उम्मीद है कि चीन और सऊदी अरब मिलकर पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचा लेंगे। -
सऊदी अरब में हाजिरी लगाते हैं पाक के नए PM और सेना प्रमुख
पाकिस्तान का सेना प्रमुख बनने के डेढ़ महीने बाद ही जनरल सैयद असीम मुनीर 5 जनवरी 2023 को सऊदी अरब के दौरे पर गए। इससे पहले मई 2022 में सऊदी अरब गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सऊदी से कुल 8 अरब डॉलर का राहत पैकेज लेने में कामयाबी हासिल हुई थी। इस समय सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तेल के लिए दी जाने वाली वित्तीय राहत को भी दोगुना करने का वादा किया था।
अगस्त 2018 में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद पहले ही महीने वह सऊदी अरब के दौरे पर गए थे। इमरान खान ने करीब 4 साल के कार्यकाल में कुल 32 विदेश यात्राएं कीं, इनमें 8 बार वो सऊदी अरब गए थे।मुश्किल में दूर हुए दोस्त
पाकिस्तान के पास इस वक्त सिर्फ 3.6 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व है। इससे पुराने कर्ज की किश्तें भी नहीं भरी जा सकतीं। फाइनेंस मिनिस्टर इशहाक डार ने नवंबर में कहा था कि चीन और सऊदी अरब पाकिस्तान को बहुत जल्द 13 अरब डॉलर का नया कर्ज देंगे। यह अब तक नहीं मिला और दोनों देश चुप हैं। दूसरी तरफ, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF ने भी कर्ज की तीसरी किश्त रोक दी है। ऐसे में अब जनवरी से मार्च के पहले क्वॉर्टर में विदेशी कर्ज चुकाने और इम्पोर्ट के लिए फंड्स कहां से आएंगे, इस पर बहुत बड़ा सवालिया निशान लग गया है।
चीन ने मुश्किल वक्त में साथ छोड़ा
पाकिस्तान के अखबार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- फाइनेंस मिनिस्टर भले ही सऊदी अरब और चीन से 13 अरब डॉलर के नए लोन मिलने का दावा कर रहे हों, लेकिन हकीकत कुछ और है। नवंबर की शुरुआत में दोनों देशों से बातचीत हुई थी और अब तक इनकी तरफ से कोई पैसा मिलना तो दूर, वादा भी नहीं किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन तो एक कदम आगे निकल गया है। उसने पाकिस्तान से 1.3 अरब डॉलर की किश्त मांगली। पाकिस्तान सरकार ने चीन की इस हरकत पर अब तक कुछ नहीं कहा है। डार अब दावा कर रहे हैं कि सऊदी अरब से बातचीत जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही वहां से 3 अरब डॉलर मिल जाएंगे। दूसरी तरफ, सऊदी अरब ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है