SC ने कहा- कश्मीर समस्या सुलझाने में इंसानियत का होना जरूरी, लेकिन फोर्सेस में इस बात की कमी

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में 33 दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी हैं। हालात पर काबू करने के लिए सिक्युरिटी फोर्सेस को पैलेट गन चलानी पड़ रही है। हजारों लोग घायल हो चुके हैं। गन के इस्तेमाल को रोकने की बातें हो रही हैं। हालांकि, सीआरपीएफ इसके लिए तैयार नहीं है। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, ‘घाटी की समस्या को हल करने के लिए इंसानियत का होना सबसे जरूरी है।’ बता दें कि 8 जुलाई को हिजबुल आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद कश्मीर में प्रोटेस्ट शुरू हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा…
– सु्प्रीम कोर्ट की दो जजों जस्टिस पीसी घोष और जस्टिस अमिताभ रॉय की बेंच ने मंगलवार को कहा, “कश्मीर की समस्या सुलझाने के लिए इंसानियत का होना सबसे ज्यादा जरूरी है और इसी चीज की वहां कमी दिखाई देती है।”
– “लोगों को प्यार और लगाव से समझाना चाहिए, लेकिन सिक्युरिटी फोर्सेस की कोशिशों में इसकी कमी दिखाई देती है। सरकार को इस बात को तय करना चाहिए।”
– कोर्ट ने ये बात एक पिटीशन की सुनवाई के दौरान कहीं। श्रीनगर के सीनियर एसपी ने एक डीएसपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया था। डीएसपी पर 22 साल के लड़के शब्बीर अहमद मीर को गोली मारने का आरोप था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में क्या कहा?
बेंच ने कहा, “आईजी और एसएसपी श्रीनगर के खिलाफ अवमानना सुनवाई के मामले में स्टे रहेगा। तथ्यों और हालात को देखते हुए हम यही कहना चाहते हैं कि मारे गए लड़के के पिता ने 10 जुलाई को जो एफआईआर दर्ज कराई थी, उसके मद्देनजर अफसर पूरी जांच करें और 12 फरवरी तक या उससे पहले पूरी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश करें।”
श्रीनगर की एक कोर्ट ने क्या कहा था?
– श्रीनगर की एक कोर्ट ने एसएसपी को डीएसपी पर एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा था। साथ ही कहा था कि ऐसा न करने पर इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।
– जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने भी लोअर कोर्ट के इस फैसले को सही बताया था।
– इसके बाद लोअर कोर्ट ने एसएसपी के खिलाफ नॉन-बेलेबल वारंट जारी कर दिया। कोर्ट का ऑर्डर न मानने पर उसे अरेस्ट भी कर लिया गया।
– लोअर कोर्ट ने अवमानना का यह मामले सुनवाई के लिए हाईकोर्ट रैफर कर दिया, लेकिन सरकार इसे सुप्रीम कोर्ट ले गई।
अटॉर्नी जनरल ने की राज्य सरकार की तरफ से पैरवी
– राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस आरोप को गलत बताया कि पुलिस ने एक लड़के को उसके घर पर मार गिराया।
– रोहतगी ने कहा, ‘लड़के को उस वक्त गोली लगी जब सिक्युरिटी फोर्सेस हालात काबू करने के लिए प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर रही थीं।’
– उन्होंने ये भी कहा, ‘किसी पुलिस अफसर को ऐसी कार्रवाई के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।’
– मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए रोहतगी ने कहा, ‘लड़के को एक गोली लगी थी। इससे ये आरोप गलत साबित हो जाता है कि उसे निशाना बनाया गया। बुलेट बॉडी में लगी और छेदते हुए बाहर निकल गई।’
लोअर कोर्ट के ऑर्डर पर क्या बोले रोहतगी?
– डीएसपी यासिर कादरी पर एफआईआर दर्ज करने के लोअर कोर्ट के ऑर्डर पर रोहतगी ने कहा, ‘मामले की जांच जारी है और एक केस में 2 एफआईआर नहीं हो सकतीं। इसके चलते लोअर कोर्ट का ऑर्डर अपने आप खत्म हो जाता है।’
– ‘सिक्युरिटी फोर्सेस और लोगों के बीच एक बैलेंस होना बहुत जरूरी है।’
– ‘अगर कार्रवाई के लिए पुलिस पर रोज एफआईआर दर्ज होती रहेगी तो ऐसे में उनका मॉरल गिरेगा। ‘
क्यों बिगड़े कश्मीर में हालात?
– घाटी में 8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी को सिक्युरिटी फोर्सेस ने मार गिराया था।
– इस एनकाउंटर के विरोध में श्रीनगर, पुलवामा और अनंतनाग में प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
– हालात काबू करने के लिए सीआरपीएफ की कई बटालियन भेजनी पड़ी थी। लोगों की फोर्सेस से झड़प जारी है। इसके लिए पैलेट गन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
– घाटी में गन के इस्तेमाल को लेकर भी काफी विरोध हो रहा है।
– प्रदर्शनों के चलते 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 8 हजार से ज्यादा घायल हैं। इनमें सैकड़ों जवान भी हैं।