Remote EVM: बड़ा बदलाव ला सकती है रिमोट ईवीएम

बिहार और उत्तर प्रदेश के बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो दिल्ली में आकर रहते हैं या मुंबई में आकर रहते हैं और जब विधानसभा के चुनाव या लोकसभा के या कोई भी चुनाव होते हैं, तो उन्हें वापस अपने घर वोट डालने के लिए जाना पड़ता है.

हमारे देश में 30 करोड़ मतदाता ऐसे हैं, जो आईडी कार्ड होते हुए भी वोट नहीं डाल पाते। उनकी संख्या लगभग पूरी अमेरिका की आबादी के बराबर है। अब चुनाव आयोग ने एक नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का प्रोटोटाइप तैयार किया है, जिसके जरिये ऐसे लोग भी चुनाव में वोट डाल पाएंगे, जो नौकरी करने के लिए या फिर पढ़ाई करने के लिए या किसी भी दूसरी वजह से एक राज्य से दूसरे राज्य में चले जाते हैं और मताधिकार का उपयोग नहीं कर पाते। चुनाव आयोग के मुताबिक, ये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम का ‘अपग्रेडेड वर्जन’ है। इसे रिमोट वोटिंग के लिए विकसित किया गया है। यानी कि ये ‘रिमोट ईवीएम’ है। मान लीजिए, दिल्ली में कोई व्यक्ति मध्य प्रदेश से आकर नौकरी कर रहा है या फिर कोई युवा पढ़ाई करने के लिए बिहार से दिल्ली आ गया है और जब चुनाव हो रहे हैं, तो वोटिंग के वक्त वह अपने गृह राज्य वापस नहीं जा सकता, तो ऐसे व्यक्ति को उसी राज्य में, जहां वह इस समय रह रहा है, वोटिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

बिहार और उत्तर प्रदेश के बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो दिल्ली में आकर रहते हैं या मुंबई में आकर रहते हैं और जब विधानसभा के चुनाव या लोकसभा के या कोई भी चुनाव होते हैं, तो उन्हें वापस अपने घर वोट डालने के लिए जाना पड़ता है और जब वे वोट नहीं डाल पाते, तब उनका वोट बर्बाद चला जाता है। बड़ी बात यह है कि यह मशीन ‘मोबाइल वोटिंग’ या ‘इंटरनेट  वोटिंग’ की अवधारणा पर आधारित नहीं है। जिसका सीधा-सा मतलब यह है कि यह मशीन इंटरनेट से कनेक्टेड नहीं होगी। तो यहां सवाल उठता है कि जब यह मशीन इंटरनेट से कनेक्ट नहीं है, तो फिर एक राज्य से दूसरे राज्य में लोग वोट डालेंगे कैसे? इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा एक पूरी प्रक्रिया बनाई गई है, जिसके तहत प्रवासी मतदाताओं को सबसे पहले अपने गृह क्षेत्र के ‘रिटर्निंग ऑफिसर’ को यह बताना होगा कि वह उनके क्षेत्र के वोटर हैं और किसी कारण से अपने घर से दूर किसी दूसरे राज्य में रहते हैं। यह प्रक्रिया ऑनलाइन एवं ऑफलाइन, दोनों तरह से उपलब्ध होगी।

इस आवेदन के बाद जब रिटर्निंग ऑफिसर को पूरी तसल्ली हो जाएगी कि आवेदन करने वाला व्यक्ति सच बोल रहा है, तो रिटर्निंग ऑफिसर उस राज्य में एक ‘रिमोट पोलिंग बूथ’ बनाने का आग्रह करेगा, जहां वह वोटर वर्तमान में रह रहा होगा। इसके बाद वहां यह नई मशीन उन वोटरों के लिए लगा दी जाएगी। इस नई ईवीएम में 72 सीटों के उम्मीदवारों की जानकारी होगी, जबकि मौजूदा ईवीएम मशीन में अभी एक ही विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार की जानकारी होती है। यानी अलग-अलग चुनाव क्षेत्र के लोग आकर एक ही मशीन से अपना वोट डाल सकेंगे। इसका सारा डाटा उन राज्यों के रिटर्निंग ऑफिसरों से साझा किया जाएगा, जहां के ये मतदाता हैं।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 91 करोड़ 20 लाख वोटर थे, लेकिन सिर्फ 61 करोड़ 50 लाख मतदाताओं ने ही वोट डाले। इसी तरह से 2014 के लोकसभा चुनाव में 83 करोड़ 40 लाख वोटर थे, लेकिन सिर्फ 55 करोड़ मतदाताओं ने ही वोट डाले। 2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 37 फीसदी आबादी यानी 45 करोड़ 36 लाख लोग घरेलू प्रवासी थे। यानी 45 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो अपने घर से दूसरी जगह जाकर काम कर रहे हैं और चुनाव आयोग इन्हीं करोड़ों लोगों को मतदान की प्रक्रिया में शामिल करना चाहता है।

इस मशीन की कुछ चुनौतियां भी हैं, जिनके कारण विपक्ष इसका विरोध कर रहा है, जैसे, यह कैसे पता चलेगा कि ये प्रवासी मतदाता कौन हैं? क्योंकि सिर्फ नौकरी और पढ़ाई के लिए ही लोग एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं जाते, बल्कि घरेलू प्रवास का एक बड़ा कारण शादी और दूसरे पारिवारिक रिश्ते भी हैं। इसके अलावा यह भी चुनौती है कि रिमोट पोलिंग बूथ पर राजनीतिक पार्टियों के सभी पोलिंग एजेंट्स कैसे आएंगे? क्योंकि यहां एक मशीन के जरिये 72 चुनाव क्षेत्रों के अलग-अलग उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट्स होंगे। एक अन्य चुनौती यह भी है कि जिन दूसरे राज्यों में प्रवासी मतदाता वोट डालेंगे, वहां आचार संहिता कैसे लागू होगी?