गुजरात ATS में रहे वंजारा बोले- अपनी लाइन बड़ी करता हूं, दूसरा अमित शाह क्यों बनूं?
सूरत. गुजरात एटीएस के मुखिया रहे डीजी वंजारा, जिन पर सोहराबुद्दीन, तुलसी प्रजापति, इशरत जहां के फर्जी एनकाउंटर का आरोप हैं। 9 साल से जेल में थे। हाल में जमानत पर छूटे हैं। जेल से बाहर आते ही राजनीति में जाने का ऐलान कर दिया। दिव्य भास्कर के अपूर्व त्रिवेदी ने उनसे नरेंद्र मोदी-अमित शाह से रिश्ते, गुजरात दंगे, राजनीति पर चर्चा की। बड़े सवालों पर वंजारा का जवाब…
– जेल से आपने मोदी-शाह के खिलाफ लेटर लिखे, फिर चुप हो गए और जमानत पर बाहर। क्या कोई डील हो गई है?
– कोई डील नहीं। समय बदला, संयोग बदले और समीकरण भी बदल गए। जब पत्र लिखा था तब हालात कुछ और थे। अब नरेंद्रभाई प्रधानमंत्री बन गए हैं। अमितभाई पार्टी के मुखिया। मुझे जमानत न्याय प्रक्रिया और सबूतों के बल पर मिली है। बाकी संयोग है।
– कोई डील नहीं। समय बदला, संयोग बदले और समीकरण भी बदल गए। जब पत्र लिखा था तब हालात कुछ और थे। अब नरेंद्रभाई प्रधानमंत्री बन गए हैं। अमितभाई पार्टी के मुखिया। मुझे जमानत न्याय प्रक्रिया और सबूतों के बल पर मिली है। बाकी संयोग है।
– जेल से बाहर आते ही राजनीति की बात कह दी। क्या दूसरे अमित शाह बनने की तैयारी हैं?
– मैं दूसरा अमित शाह क्यों बनूं? मैं पहला वंजारा ही बनूंगा। मैं दूसरों की लाइन छोटी करने के बजाय अपनी लाइन बड़ी करने में यकीन करता हूं।
– मैं दूसरा अमित शाह क्यों बनूं? मैं पहला वंजारा ही बनूंगा। मैं दूसरों की लाइन छोटी करने के बजाय अपनी लाइन बड़ी करने में यकीन करता हूं।
– क्या आपके पास बड़े नेताओं के राज हैं, जिनके सहारे अपनी राजनीति चमकाएंगे?
– देखिए, निर्दोष होने के बावजूद मैं 9 साल जेल में रहा। वो मेरा तप था। जिस फल के लिए मैंने काम किया, सजा काटी अब फल मिला है, तो जनता के साथ बांटना चाहता हूं। जनता ही इसकी असली हकदार है।
– देखिए, निर्दोष होने के बावजूद मैं 9 साल जेल में रहा। वो मेरा तप था। जिस फल के लिए मैंने काम किया, सजा काटी अब फल मिला है, तो जनता के साथ बांटना चाहता हूं। जनता ही इसकी असली हकदार है।
– तो आप चुनाव लड़ेंगे?
– चुनाव तो लड़ूंगा। कहां से, ये तय नहीं है। मैं अभी पूरे गुजरात का चक्कर काट रहा हूं। जगह-जगह मेरा सम्मान हो रहा है। मैं विकास का पंचामृत लेकर घूम रहा हूं। रही बात टिकट नहीं मिलने की, तो ये वक्त बताएगा।
– चुनाव तो लड़ूंगा। कहां से, ये तय नहीं है। मैं अभी पूरे गुजरात का चक्कर काट रहा हूं। जगह-जगह मेरा सम्मान हो रहा है। मैं विकास का पंचामृत लेकर घूम रहा हूं। रही बात टिकट नहीं मिलने की, तो ये वक्त बताएगा।
– विकास का पंचामृत! मतलब?
– गुजरात की जनता को मैं 5 चीजें देना चाहता हूं। सामाजिक एकता-सद्भावना। राजकीय स्थिरता। जनभागीदारी। आर्थिक विकास और सबको न्याय। इसी को लेकर मैं पूरे गुजरात में घूम रहा हूं।
– गुजरात की जनता को मैं 5 चीजें देना चाहता हूं। सामाजिक एकता-सद्भावना। राजकीय स्थिरता। जनभागीदारी। आर्थिक विकास और सबको न्याय। इसी को लेकर मैं पूरे गुजरात में घूम रहा हूं।
– गुजरात का मुख्यमंत्री बनना चाहते हो?
– अरे भाई, धैर्य रखो। राज को राज रहने दो।
– अरे भाई, धैर्य रखो। राज को राज रहने दो।
– कहते हैं मोदी को अगर कोई अच्छे से जानता है तो अमित शाह या फिर वंजारा। सच है?
– ये तो नहीं पता, लेकिन मुझे किसी ने पूछा था कि आप नरेंद्र मोदी का कितना सम्मान करते हो? तब मैंने कहा था कि बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन ये भी कहा था कि अमित शाह का अनादर भी नहीं करता।
– ये तो नहीं पता, लेकिन मुझे किसी ने पूछा था कि आप नरेंद्र मोदी का कितना सम्मान करते हो? तब मैंने कहा था कि बहुत सम्मान करता हूं। लेकिन ये भी कहा था कि अमित शाह का अनादर भी नहीं करता।
– जेल से आते ही संघ के दरबार में गए थे। बुलाए गए थे, या खुद गए थे?
– देखिए, संघ एक सांस्कृतिक संगठन है। उसकी विचारधारा मुझे आकर्षित करती है। संघ के दरवाजे सभी के लिए खुले रहते हैं। मैं बहुत छोटा व्यक्ति हूं। वे लोग मुझे क्यों बुलाएंगे, मैं ही वहां जाऊंगा।