सिंहस्थ के ‘डिफॉल्टर’ निकले स्वामी नित्यानंद, बकाया बिल के लिए लोग लगा रहे चक्कर

कभी सेक्स स्कैंडल में आरोपी रहे और हालिया सिंहस्थ में चर्चा में रहे स्वामी नित्यानंद उज्जैन के डिफॉल्टर हो गए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सोने का मुकुट पहनकर भक्तों को रिझाने वाले नित्यानंद सिंहस्थ के ठेकेदारों, कारोबारियों और मजदूरों का बिल चुकाए बिना वहां से जा चुके हैं। लाखों की चपत लगने पर लोगों ने मेला अफसरों से इसकी शिकायत की तो उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट करने की सलाह दी है।

– नित्यानंद स्वामी का पंडाल सिंहस्थ के सबसे भव्य पंडालों में से एक था। इसकी सजावट को लेकर श्रद्धालुओं में खूब चर्चा थी।
– पंडाल में बने मंदिर में लोगों को आकर्षित करने के लिए कथित रूप से सोने की मूर्तियां लगाई गई थीं।
– सिंहस्थ खत्म होने पर जब टेंट वाले, बिजली कांट्रेक्टर, डेकोरेटर और सप्लायर अपना पेमेंट लेने नित्यानंद के आश्रम पहुंचे तो हिसाब चेक करने के नाम पर उन्हें दो दिन रुकने काे कहा गया।
– दो दिन बाद जब लोग फिर से पहुंचे तो उन्हें 10 से 20 पर्सेंट रकम देकर लौटा दिया गया।
– इसके बाद तीसरी बार पहुंचने पर उन्हें साफ कह दिया गया कि अब आपका पेमेंट आॅडिट होने के बाद ही किया जाएगा। उसके पहले पेमेंट संभव नहीं है।
– इस पर जब इन्होंने हंगामा मचाया तो नित्यानंद के मैनेजर ने उन्हें ये कहकर भगा दिया कि आप लोगों ने शर्तों के हिसाब से काम नहीं किया है, इसलिए हम आपको पेमेंट नहीं करेंगे।
– घबराए सप्लायर और ठेकेदार मेला प्रशासन के पास पहुंचे। सिंहस्थ के डिप्टी फेयर ऑफिसर एसएस रावत ने कहा कि कुछ सप्लायर्स और ठेकेदार पेमेंट ना होने की शिकायत लेकर आए थे। हमने इनको पुलिस में शिकायत करने को कहा है।
– एक सप्लायर के मुताबिक नित्यानंद स्वामी से लोगों को करीब 1 करोड़ रुपया लेना है। लेकिन उनके पास सिर्फ 30-35 लाख रुपए का सामान दिए जाने के कागजी सबूत हैं। इसलिए भी वे परेशान हैं कि यदि पुलिस के पास भी गए तो बाकि रकम की वसूली कैसे होगी?

ऐसा था सिंहस्थ में नित्यानंद का जलवा

– बाबा ने लोगों को लुभाने के हर संभव प्रयास किए। शाही स्नान के लिए वो सोने का मुकुट पहनकर विदेशी भक्तों के साथ जाते थे।
– नित्यानंद की प्रवेशाई में सैकड़ों की संख्या में विदेशी भक्त शामिल हुए थे। इसमे नित्यानंद सोने का मुकुट पहनकर महंगे रथ पर सवार थे, जिसे विदेशी महिलाएं खींच रही थीं।
– नित्यानंद सिंहस्थ में शुरू से ही विवादित रहे। सरकार के एक बैनर पर उनके फ़ोटो को लेकर कुछ संतों ने जबरदस्त विरोध किया था, इसके बाद सरकार ने वो बैनर हटवा लिए थे।