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भारत में इंटरनेट बैलूंस के टेस्ट के लिए Google को मिल सकती है मंजूरी

नई दिल्ली. गूगल अपना लून (LOON) प्रोजेक्ट भारत में जल्द ही शुरू कर सकता है। ब्यूरोक्रेट्स के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इसकी टेक्नोलॉजी को टेस्ट करने के लिए लोकेशन की तलाश जारी है। टेस्ट के लिए इसी हफ्ते मंजूरी मिल सकती है इस प्रोजेक्ट के तहत गूगल हाई एल्टिट्यूड बैलूंस के जरिए दूरदराज और रूरल एरिया में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रोवाइड कराएगा। सिर्फ चार दिनों तक चलेगा टेस्ट…
– कम्युनिकेशंस एंड आईटी मिनिस्ट्री और गूगल के बीच पायलट प्रोजेक्ट के तहत टेक्नोलॉजी के टेस्ट पर चर्चा हो चुकी है।
– टेस्ट सिर्फ चार दिनों तक चलेगा। आंध्र प्रदेश या महाराष्ट्र में इसे अंजाम दिया जा सकता है।
– एक टॉप गवर्नमेंट ऑफिशियल के मुताबिक यह टेस्ट भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रोवाइड कराने वाले कई अल्टरनेटिव मॉडल्स की तरह ही है।
– ‘हम देश के अंदरूनी इलाकों में LOON की इफेक्टिवनेस को टेस्ट करने की कोशिश करेंगे। क्योंकि अरबन एरिया में पहले से ही इंटरनेट कनेक्टिविटी मौजूद है।’
– नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) को लोकेशन फाइनल करने और टेस्ट के लिए बाकी जरूरतों को पूरा करने का जिम्मा सौंपा गया है।
– गूगल की लून टीम और एनआईसी के बीच इस पर चर्चा इसी हफ्ते हो सकती है।
क्या है LOON प्रोजेक्ट?
– हीलियम गैस से भरे बैलूंस (गुब्बारों) को जमीन से 20 किलोमीटर ऊपर प्लांट किया जाएगा।
– हर बैलून से मिलने वाले सिग्नल ग्राउंड पर 40 किलोमीटर के डायामीटर को कवर कर सकते हैं।
– बैलूंस के नेटवर्क से स्ट्रैटोस्फीयर में बिना किसी दिक्कत के कनेक्टिविटी का दावा किया गया है।
– प्रोजेक्ट का मकसद भारत में दूरदराज और रूरल एरिया में 4G LTE कनेक्टिविटी प्रोवाइड कराना है।
अभी कहां चल रहा है ट्रायल?
– गूगल ने इस प्लान पर 2013 में काम शुरू किया था।
– ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और यूएस में ट्रायल जारी हैं।
– LOON प्रोजेक्ट पर अमल से भारत के सभी हिस्सों में इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलने की बात कही गई है।
भारत को क्या होगा फायदा?
– गांवों में इंटरनेट सेटअप के लिए भारी भरकम खर्च किए बगैर ही आसानी से इंटरनेट एक्सेस मिल सकेगा।
– गूगल पहले ही भारत के 500 रेलवे स्टेशनों को इंटरनेट से जोड़ने का वादा कर चुका है।
– सूत्रों के मुताबिक, गूगल इसे टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर इस्तेमाल करेगा, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर नहीं।
– इससे सरकार उन इलाकों में भी इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचा सकेगी, जहां लोकल टावर लगाना मुमकिन नहीं है।

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