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नियम-134ए के तहत एक बार दाखिला हुआ तो स्कूल की फाइनल कक्षा तक पढ़ सकेगा स्टू़डेंट

पानीपत.नियम 134 ए के तहत बच्चे का किसी स्कूल में दाखिला हुआ तो वह उसी में फाइनल कक्षा तक पढ़ने का हकदार होगा। ये स्पष्टीकरण मौलिक शिक्षा विभाग की अतिरिक्त निदेशक डॉ. वंदना दिसौदिया ने जारी किया है। दरअसल नियम 134ए के तहत नियमों को लेकर असमंजस बना था।
सोनीपत के डीसी केएम पांडूरंग ने शिक्षा विभाग में पत्र लिखकर नियमों पर स्पष्टीकरण चाहा था। इधर, दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन के अध्यक्ष सत्यवीर सिंह कहते हैं कि नियमों को लेकर जारी की गई स्पष्टता सही है इससे वो बच्चे भी अंतिम दिनों में दाखिला ले सकेंगे जो अभी तक नियमों में उलझे हुए थे। उल्लेखनीय है कि 134ए में निशुल्क दाखिले के लिए 10 अप्रैल तक आवेदन किए जा सकते हैं। कई जिलों की तहसीलों में आय प्रमाण बनने में दिक्कतें की शिकायतें आ रही हैं।
3 सवालों पर स्पष्टता
– क्या 2 लाख तक की आय लिमिट इस वर्ष भी लागू रहेगी?
– दाखिले की पात्रता के लिए परिवार की आय सीमा 2 लाख प्रति वर्ष होने के नियम में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
– जिनके पहले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) या आय के प्रमाण पत्र बने हैं?
– पहले बना ईडब्ल्यूएस या आय का सर्टिफिकेट भी मान्य होगा।
– 134 ए के तहत किसी निजी स्कूल में एक बार दाखिला हो जाता है तो वह बच्चा कब तक उस स्कूल में पढ़ सकता है।
– एक बार दाखिले के बाद बच्चा उसी स्कूल में उसकी अंतिम कक्षा तक पढ़ सकता है।
36 सरकारी कॉलेजों में एससी वेलफेयर स्कीम के 4 करोड़ हुए लैप्स, विभाग ने मांगा स्पष्टीकरण
प्रदेश के 36 राजकीय कॉलेजों में एससी वेलफेयर स्कीम के तहत बच्चों के लिए छात्रवृति की राशि भेजी गई थी। इसमें से 4.87 करोड़ रुपए लैप्स हो गए हैं। हजारों बच्चों को छात्रवृति नहीं मिल पाई और पैसे लैप्स हो गए इसको लेकर उच्चतर शिक्षा विभाग चिंतित है। इसको लेकर विभाग की तरफ से सभी राजकीय कॉलेजों से स्पष्टीकरण मांगा है और पूछा कि इसके कारण बताए जाएं और किसी गलती रही यह भी स्पष्ट किया जाए।
उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा के छात्रवृति के उप निदेशक ने राजकीय कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र जारी किया है। जिसमें उन्होंने बताया कि 36 राजकीय कॉलेजों में छात्रवृति के 24.42 करोड़ रुपए जारी किए गए थे, लेकिन इसमें से 4.87 करोड़ रुपए प्रयोग नहीं हुए जिसके कारण वो पैसे लैप्स कर दिए गए हैं। जबकि हजारों बच्चों को उनकी छात्रवृति नहीं मिली। इसके पीछे भारी लापरवाही मानी जा रही है, इसलिए सभी 36 राजकीय कॉलेजों के प्राचार्य 11 अप्रैल तक ई-मेल का माध्यम से स्पष्टीकरण दें और इसमें बताएं किसी की कमी के चलते यह हुआ है। विभाग ने सभी राजकीय कॉलेजों को उनमें जारी की गई राशि और उनकी लैप्स राशि की जानकारी भी भेज दी है।

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