भीलवाड़ा की प्यास बुझाने वाली ट्रेन पहुंच गई लातूर

भीलवाड़ा

जलदाय विभाग की लापरवाही जल संकट से जूझती वस्त्रनगरी के लोगों पर भारी पड़ गई है। भीलवाड़ा की प्यास बुझाने के लिए कोटा में तैयार हुई दूसरी रैक को विभाग के समय पर भुगतान नहीं करने से नसीराबाद की बजाय महाराष्ट्र में लातूर के लिए रवाना कर दिया गया। एेसे में भीषण गर्मी में फिलहाल एक ही वाटर टे्रन पर आश्रित रहना पड़ेगा। इसके एक दिन में दो फेरे संभव नहीं होने से शहर में हालात बिगडऩे तय हैं।

जलदाय विभाग को दूसरे फेरे के लिए मिले 11 करोड़ रुपए रेलवे को देने थे। इधर, रेलवे ने दूसरी रैेक की व्यवस्था करते हुए वैगनों को स्टीम से सफाई के लिए कोटा भेज दिया था। इस बीच, लातूर में भीषण पेयजल संकट के कारण वहां के जिला प्रशासन ने रेलवे के समक्ष रैक की मांग रखी। भीलवाड़ा की ओर से राशि जमा नहीं होने पर रेलवे ने कोटा में तैयार हुई रैक को लातूर के लिए रवाना कर दिया।

सात दिन में आपूर्ति

पारा के लगातार चढऩे से भीलवाड़ा में पेयजल संकट के हालात विकट हो गए हैं। पेयजल की कमी के कारण छह से सात दिन में एक बार जलापूर्ति हो रही है। वर्तमान में रोजाना नसीराबाद से 25 लाख लीटर पेयजल वाटर टे्रन से आ रहा है, जबकि जरूरत करीब 60 लाख लीटर पानी की है। शहर में गहरा रहे जल संकट से उबरने के लिए दूसरी रैक की व्यवस्था में 20 से 25 दिन लग जाएंगे। तब तक लोगों को पानी नहीं मिलने से परेशानी होगी।

दूसरी रैक की व्यवस्था नहीं हो रही है। तैयार रैक लातूर चली गई है। एेसे में मौजूद एक रैक से दो दिन में तीन फेरे की योजना बना रहे हैं। बजट मिलने में भी देरी हुई है। 

आरपी मौर्य, अधिशासी अभियंता, जलदाय विभाग