10kg वजन के साथ दौड़ना होता है कई किमी, आर्मी में ऐसे होती है वूमंस की ट्रेनिंग

भोपाल।11 महीने की कड़ी मेहनत के बाद 37 यंग गर्ल्स आखिरकार आर्मी ऑफिसर बन गईं। पिछले दिनों चेन्नई की ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी में पासिंग आउट परेड के बाद इन अार्मी अफसरों को अपनी पहली पोस्टिंग मिल गई है। इन 37 गर्ल्स में एक भोपाल की बरखा श्रीवास्तव भी हैं। बरखा ने मैनिट से आर्किटेक्चर की पढ़ाई की है। इस पासिंग आउट परेड में आर्मी चीफ स्टॉफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग भी मौजूद थे। जानिए, कैसे होती है इन महिलाओं की ट्रेनिंग…
222 में से 183 कैडेट्स हुए पास
चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में पिछले दिनों 183 कैडेट्स आर्मी में कमीशंड हुए। 11 महीनों की ट्रेनिंग के लिए 222 कैडेट्स शामिल हुए थे, लेकिन इसमें से 39 कैडेट्स को ट्रेनिंग बीच में ही छोड़नी पड़ी। भोपाल के मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी से आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन करने वाली लेफ्टीनेंट बरखा श्रीवास्तव को उप्र के झांसी कैंट में पोस्टिंग मिली है। चेन्नई की आॅफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी ही एक मात्र अकादमी है, जहां सेना की महिला अफसरों को ट्रेनिंग दी जाती है। आॅफिसर्स ट्रेनिंग के दौरान वूमन कैडेट्स को राईफल और कई सामानों से भरे बैग के साथ मिनटों में 5 किमी की दौड़ पूरी करनी होती है। इस दौड़ के दौरान उनके कंधों पर करीब 10 किलो का वजन होता है।
कमांडो जैसी होती है ट्रेनिंग
– सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक ट्रेनिंग।
– सुबह पीटी ड्रिल।
– थ्योरी क्लासेस।
– फायरिंग।
– गेम्स।
– पैरासेलिंग, कराटे।
– हॉर्स राइडिंग।