इतिहास के झरोखे से: 34 साल का हो गया धौलपुर जिला
धौलपुर।
राजस्थान के पूर्वीभाग में उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश राज्य के सीमाओं से सटा धौलपुर जिला आज ही के दिन वर्ष 1982 में भरतपुर जिले से अलग होकर आस्तित्व में आया था। प्राचीन इतिहास की नजर में धवलगिरी के नाम से जाने जाना वाला धौलपुर समीप ही बहने वाली चंबल नदी और उसके बीहड़ों से पूरे देश में अलग ही पहचान रखता हैं।
कभी बीहड़ और बागियों के लिए बदनाम रही धौलपुर की फिजा अब पूरी तरह शांत नजर आती हैं। यहां दस्युओं का आतंक का अब अंत हो चुका है और धौलपुर तेजी से अपनी पुरानी पहचान को बदलने की जुस्तजू में लगा है।
धौलपुर का इतिहास वैदिक काल के दौरान का है। उस समय धौलपुर मत्स्य जनपद में शामिल था। मौर्य शासन के दौरान यह मौर्य साम्राज्य में भी रहा। समय के साथ यह अलग-अलग शासकों के अधीन आता-जाता रहा। 8वीं व 10वीं सदी के दौरान इस पर चौहान शासकों ने राज किया। वर्ष 1194 में यह मोहम्मद गौरी के अधीन रहा।
माना जाता है कि तोमर शासक राजा धोलनदेव ने 700 ईस्वी में धौलपुर शहर की स्थापना की थी, जिसे धवलपुरी के नाम से जाना जाता था। बाद में धौलागिरी और अब धौलपुर के रूप में इसकी पहचान हैं। ग्रामीण क्षेत्र में इसे ‘धौरपिर’ के नाम से भी पुकारा जाता था। जिसका परिष्कृत रूप धौलपुर हो गया।
जिला बनाने के लिए हुआ था बड़ा आंदोलन
इतिहास के जानकार अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि देश की आजादी के बाद यदि जिला बनाने के लिए कोई आंदोलन हुआ तो उसमें धौलपुर का नाम भी सर्वाेपरि है। धौलपुर के विकास का सपना लेकर यहां के लोगों ने इसे भरतपुर से पृथक जिला बनाने के लिए एक बड़ा आंदोलन शुरू किया।
वर्ष 1954 में सबसे पहले समाजवादी पार्टी ने इस आंदोलन की नींव रखी। जिस पर बाद में सभी राजनीतिक व सामाजिक संगठन एक मंच पर आ गए और यह आंदोलन सर्वदलीय आंदोलन बन गया। इसके लिए आंदोलन कर रहे लोगों को लंबी भूख हड़ताल और क्रमिक अनशन सहित अन्य तरह के आंदोलनों का सहारा लेना पड़ा।
सर्वसमाज के इस आंदोलन में महेश कुमार भार्गव, मुरारीलाल शर्मा, राघवेन्द्र, लक्ष्मीनारायण भट्ट, डॉ. बहादुर सिंह, अब्दुल सगीर, अजमेर सिंह सहित अन्य लोगों का का विशेष योगदान रहा।
माथुर को मिला श्रेय
धौलपुर को जिला बनाने का निर्णय हालांकि जगन्नाथ पहाडिय़ा के शासन काल में हो गया था लेकिन इसकी घोषणा का श्रेय तत्कालिन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर को जाता हैं।
उम्मीद नहीं हुई पूरी
जिले के अवरूद्ध विकास को पंख लगाने के लिए लोगों ने जो अलग जिला बनाने के लिए आंदोलन शुरू किया उसकी मंशा पूरी होने में अभी और वक्त लगेगा। आगरा व ग्वालियर जैसे दो महानगरों के बीच स्थित होने के बाद भी धौलपुर का उत्तोरोत्तर विकास हो नहीं सका। जबकि यहां रेलवे व सड़क यातायात का मजबूत नेटवर्क मौजूद है। पास में बहने वाली चंबल नदी से भी जिले को कोई बड़ा लाभ नहीं हुआ। चंबल में हर तीन-चार साल में आने वाली बाढ़ के पानी को यदि बैराज बनाकर संरक्षित कर दिया जाए तो लिफ्ट योजना से पूरे धौलपुर की धरा को हराभरा किया जा सकता है।
जिले के प्रथम अधिकारी एवं नेता
जिला बनाने के आंदोलन से जुड़े वरिष्ठ अधिवक्ता महेश भार्गव ने बताया कि जिला बनने के बाद यहां के प्रथम जिला कलक्टर पीके देव, पुलिस अधीक्षक कल्याण सिंह रहे। वहीं प्रथम विधायक श्रीगोपाल भार्गव, नगरपालिका के प्रथम चेयरमैन द्वारका प्रसाद रहे। प्रथम सांसद बच्चू सिंह बने।